जयपुर। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने एसएमएस अस्पताल पहुंचकर पीड़ित मरीजों, परिजनों और अस्पताल प्रबंधन से मुलाकात कर घटनाक्रम का जायजा लिया। इस अवसर पर जूली ने घटनाक्रम पर सरकार के खिलाफ आक्रोश जताते हुए चिकित्सा मंत्री के इस्तीफे की मांग भी की। एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में आगजनी को लेकर मीडया से बात करते हुए जूली ने कहा कि एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में आगजनी सरकार की लापरवाही है। मॉनिटरिंग नहीं हो रही, कोई देखने वाला नहीं है। मुख्यमंत्री दिल्ली दौरों में व्यस्त हैं। प्रधानमंत्री का जन्मदिन मनाने के लिए 15 दिन का पखवाड़ा चल रहा है।
प्रधानमंत्री का जन्मदिन जरूरी है या यहाँ लोगों की जान जरूरी है ? आपने पखवाड़े के लिए पूरे 15 दिन राजस्थान के खराब कर दिए, कोई मॉनिटरिंग नहीं है, कोई देखने वाला नहीं है। शिक्षा और चिकित्सा दोनों सबसे मूलभूत आवश्यकताएँ हैं, लेकिन शिक्षा के मंदिर ढहने लगे हैं, राजनीतिक अखाड़े बन गए हैं। आरएसएस का पंथ संचालन के लिए तो आपके पास समय है। एनएसयूआई के बच्चों को बंद करवा दो, उनकी जमानत नहीं होने दो, उसके लिए भी समय है, लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य के मंदिरों पर ध्यान नहीं देंगे।
वहाँ व्यवस्थाएँ कैसी हैं, इसकी कोई मॉनिटरिंग नहीं करोगे। आप देखिए, यहां हमारा जो शानदार आईपीडी टॉवर बन रहा था, उसका पिछले 2 साल से काम रुका हुआ है। उसे पूरा नहीं करोगे ? क्या यही आपकी मॉनिटरिंग है ? यह बहुत बड़ी और गंभीर बात है। सुरक्षा के जो उपकरण लगाए जाते हैं चाहे पानी के हों या आग बुझाने के हो, उनकी लगातार, मैं समझता हूँ की इनकी जाँच होती है, ऑडिट होती है। तीन महीने, छह महीने या सालाना ऑडिट के बाद फायर ऑफिसर एनओसी देता है।
तो वे कौन लोग हैं जो जाँच ही नहीं कर रहे? जब चिंगारी लगी, तो विभाग को इसकी जानकारी क्यों नहीं थी? क्योंकि लोगों को ठेके पर लगाया हुआ है, कोई ध्यान नहीं दे रहा। नीचे से ऊपर तक मॉनिटरिंग नहीं है, क्योंकि जब मुख्यमंत्री दिल्ली दौरे में व्यस्त हैं, चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह जी अभी तक नहीं पहुँचे हैं तो काम करेगा कौन ? यह बहुत गंभीर विषय है। मैं समझता हूँ कि सरकार को यह मोदी चालीसा पढ़ने के बजाय राजस्थान का जनता का चालीसा पढ़ना चाहिए और जनता पर ध्यान दो, जनता मरने लग रही है।
मैं फिर कह रहा हूँ शिक्षा और चिकित्सा दोनों मूलभूत जरूरतें हैं, लेकिन आज स्कूल ढह रहे हैं और अस्पतालों में शॉर्ट सर्किट से आग लग रही है। मेरी माँगें स्पष्ट हैं कि चिकित्सा मंत्री का इस्तीफा लिया जाए। मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा दिया जाए। दोषी अधिकारी और कर्मचारी, जो इस हादसे को रोक सकते थे, उन पर कठोरतम कार्रवाई की जाए। जिन अधिकारियों ने बिना जाँच किए फायर उपकरणों की एनओसी जारी की, उनकी भी जाँच हो और यह भी देखा जाए कि किसकी गलती से यह सारा मटेरियल खरीदा गया, किस वजह से यह आग लगी।
सारी बातों पर बारीकी से जाँच होनी चाहिए, लेकिन यह जाँच कमेटी बनाकर सालों तक लंबी नहीं खींची जानी चाहिए। जाँच समिति को तय समय सीमा 2 दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन में रिपोर्ट देनी चाहिए। सात साल के लिए कमेटी बनाकर सिर्फ आप टाइम पास कर दो और यह चाहो की जनता भूल जाएगी इससे काम चलने वाला नहीं है, ऐसा नहीं होना चाहिए।