कोटा वार्ड 1 में सड़कों की बदहाली और सुविधाओं की कमी

Tina Chouhan

कोटा। कोटा शहर का उत्तर क्षेत्र स्थित वार्ड नंबर 1 समस्याओं का अंबार है। वार्डवासी रोजमर्रा की बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कॉलोनियों की गलियों से लेकर मुख्य सड़कों तक गंदगी, अंधेरा और टूटी सड़कें लोगों की परेशानियों को बढ़ा रही हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। सड़कों पर अंधेरा, हादसों का डर। वार्ड का बड़ा हिस्सा शहर के मुख्य हाईवे से जुड़ा हुआ है। यहां से हर समय भारी वाहन, बसें और छोटे वाहन गुजरते रहते हैं।

लेकिन अफसोस की बात है कि कई हिस्सों में सड़क किनारे लगी रोड लाइटें लंबे समय से बंद पड़ी हैं। अंधेरे में राहगीरों और वाहन चालकों के सामने हादसों का खतरा हर समय बना रहता है। कई बार कुत्तों के पीछे दौड़ने से लोग घायल भी हो चुके हैं। वार्ड का क्षेत्र वार्ड नंबर 1 में समस्त बड़गांव, गिरधरपुरा, गौरधनपुरा व देव नगर ग्राम, शम्भूपुरा ग्राम, माहेश्वरी रिसोर्ट, सेन्ट जोन्स स्कूल एवं ज्ञान सरोवर कॉलोनी का क्षेत्र शामिल है। यह इलाका तेजी से विकसित हो रहा है, लेकिन सुविधाओं का हाल बदतर बना हुआ है।

वार्ड में नहीं आती कचरा गाड़ी, गंदगी का अंबार। सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। कॉलोनियों में गंदगी बनी रहती हैं। कहीं नालियां खुली पड़ी हैं तो कहीं ढकी हुई नालियां गंदगी से जाम हैं। परिणामस्वरूप नालियों से बदबू आती है और गंदा पानी गलियों में बहता है। बच्चों और बुजुर्गों को इसमें से गुजरना पड़ता है, जिससे बीमारियां फैलने का खतरा और बढ़ जाता है। जब वार्ड पार्षद रवि मीणा से नवज्योति की टीम ने इन समस्याओं पर बात करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन काट दिया।

इसके बाद भी कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। वार्ड की कॉलोनियों में कई खाली प्लॉट हैं, जिनमें बरसात का पानी भरकर हफ्तों तक जमा रहता है। इससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है और डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा मंडराता है। लोगों का कहना है कि जल निकासी की कोई उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण हर साल मानसून में हालात बिगड़ जाते हैं। वार्ड में न तो कोई पार्क है और न ही सामुदायिक भवन। बच्चों को खेलकूद के लिए दूसरे इलाकों का रुख करना पड़ता है।

बुजुर्गों को टहलने के लिए सुरक्षित स्थान नहीं मिलता। वहीं सामाजिक और धार्मिक आयोजनों के लिए भी लोगों को मजबूरी में होटल या किराए के हॉल पर निर्भर रहना पड़ता है। पार्षद उनकी कॉलोनियों में आते ही नहीं। उनकी समस्याओं की सुनवाई तक नहीं होती। कई बार शिकायत करने के बावजूद न तो सफाई सुधरी और न ही रोड लाइटें ठीक हुईं। लोगों का कहना है कि कॉलोनी में खाली पड़े प्लाटो में बारिश के पानी की निकासी का कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया है।

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