कुकी आदिवासियों ने मेइती पर जातीय हिंसा का आरोप लगाया, अलग राज्य की मांग दोहराई

Sabal SIngh Bhati
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Sabal SIngh Bhati - Editor
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इंफाल, 8 जून ()। मणिपुर में कुकी आदिवासियों ने उनके लिए अलग प्रशासन बनाने की अपनी मांग फिर से दोहराई है, जो उनके लिए अलग राज्य के बराबर है। केंद्र और राज्य सरकार इस पूर्वोत्तर राज्य के विभाजन की मांग कई मौकों पर खारिज कर चुकी है।

कुकी आदिवासियों के शीर्ष निकाय, कुकी इंपी मणिपुर (केआईएम) ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को लिखे एक पत्र में दावा किया कि मणिपुर में चल रही हिंसा कुकी समुदाय के खिलाफ बहुसंख्यक मेइती की पूर्व नियोजित साजिश है, जो दिन-ब-दिन स्पष्ट होता गया है।

केआईएम के महासचिव खैखोराध गंगटे ने पत्र में आरोप लगाया कि हाल ही में मीडिया को दिए एक साक्षात्कार के दौरान मेइतेई लीपुन प्रमुख प्रमोत सिंह ने खुलासा किया कि उन्हें और उनके संगठन को कुकी लोगों के संहार की योजना के बारे में पता था।

गंगटे ने कहा, सांप्रदायिक सरकार के तहत कुकी लोगों के खिलाफ नफरत फैलाने का अभियान जातीय हिंसा में कैसे बदल गया, यह भी मेइतेई लीपुन के प्रमुख प्रमोत सिंह द्वारा दिए गए साक्षात्कार से बहुत स्पष्ट हो गया है।

केआईएम ने कहा कि साक्षात्कार में कुकी लोगों के खिलाफ नफरत और द्वेष से भरे प्रमोत सिंह ने स्पष्ट रूप से कुकी लोगों को कड़ी चेतावनी जारी की कि मेइती अभी भी आपस में चर्चा कर रहे हैं कि कुकी लोगों का सफाया कैसे किया जाए।

केआईएम ने प्रमोत सिंह की गिरफ्तारी की मांग करते हुए कहा : उनका दुश्मन कुकी समुदाय है और ऐसे लोगों के समूह के साथ रहना असंभव है जो हमें खत्म करना चाहते हैं। इसलिए, मणिपुर से पूरी तरह से अलग होने की तत्काल जरूरत है, जहां कुकी समुदाय भारत के संविधान के तहत अपनी पैतृक भूमि में रहते हुए सम्मानित भारतीय नागरिकों के रूप में शांतिपूर्वक कर सके।

मणिपुर में जातीय हिंसा शुरू होने के एक हफ्ते बाद कुकी आदिवासियों के 10 विधायक (जिनमें सत्तारूढ़ भाजपा के सात सदस्य शामिल हैं) ने मणिपुर में आदिवासियों के लिए अलग राज्य के बराबर अलग प्रशासन की मांग की।

3 मई को और उसके बाद हुई जातीय हिंसा के बाद कुकी समुदाय के सभी 10 विधायकों ने एन. बीरेन सिंह सरकार पर समुदाय की रक्षा करने में बुरी तरह से विफल होने का आरोप लगाया है। इसलिए, उन्होंने भारत के संविधान के तहत अलग प्रशासन चलाने और मणिपुर के पड़ोसी के रूप में शांतिपूर्वक रहने का संकल्प लिया है।

बीरेन सिंह और अमित शाह, दोनों ने अपनी चार दिवसीय मणिपुर यात्रा के बाद आदिवासियों के लिए अलग राज्य की मांग को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है।

मणिपुर की कुल 27.2 लाख आबादी (2011 की जनगणना के अनुसार) में आदिवासी लगभग 37 से 40 प्रतिशत हैं।

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