कुन्हाड़ी बीजासन माता धाम: आस्था का अद्भुत स्थल

Tina Chouhan

कोटा। शहर के रेलवे स्टेशन से करीब 9 किलोमीटर तथा बस स्टैंड से मात्र 2 किलोमीटर दूर स्थित कुन्हाड़ी माता अर्थात बीजासन माता मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। यह रियासतकालीन के दौरान बना हुआ है। इस मंदिर की माता कुन्हाड़ी ठिकाना राजपरिवार की कुलदेवी है। इस मूर्ति को राव चंद्रसेन ने सारबाग के इमली के पेड़ से लाकर यहां स्थापित किया था। यह चमत्कारी मंदिर अपने आप में अनूठा है। यहां आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना पूरी होती है। अधिकतर श्रद्धालु लकवा, बोलने में समस्या या हाथ-पैर में दर्द जैसी समस्याओं के लिए आते हैं।

जो श्रद्धालु इस मंदिर आकर 2 से 7 परिक्रमा सीधी लगाते हैं, उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है। कुछ श्रद्धालु मन्नत पूरी होने तक यहीं रहते हैं। पुजारी भूपेन्द्र शर्मा व छित्तरलाल ने बताया कि यह धार्मिक आस्था का ऐसा संगम है जहां श्रद्धालु अपनी पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ आते हैं और मां की चौखट से खाली नहीं लौटते। बीजासन माता मंदिर, जिसे कुन्हाड़ी ठिकाना की कुलदेवी माना जाता है, आज भी आस्था का सबसे बड़ा केन्द्र है। श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है।

यही कारण है कि यह मंदिर न केवल कोटा और बूंदी, बल्कि पूरे हाड़ौती अंचल के लिए आस्था का अद्भुत धाम बन चुका है। श्रद्धालुओं के अनुसार मनोकामना पूरी होने के बाद उल्टा साखिया बनाते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। ग्रामीण मान्यता है कि अगर कोई सच्चे मन से मां के दरबार में आता है, अपनी मनोकामना रखता है और परिक्रमा करता है, तो माता उसकी झोली जरूर भरती है। श्रद्धालुओं के अनुसार इस मंदिर में लकवा जैसी बीमारी में भी काफी फायदा मिलता है।

राव चंद्रसेन ने इस मंदिर का निर्माण लगभग 500 साल पहले कराया था। वे इसे कुन्हाड़ी ठिकाना की कुलदेवी के रूप में लेकर आए थे। कहा जाता है कि सारवाड़ से इमली के पेड़ के नीचे से मां की प्रतिमा को लाकर यहां स्थापित किया गया। तभी से बीजासन माता को कुन्हाड़ी ठिकाना राज परिवार की कुलदेवी के रूप में पूजा जाने लगा। कुन्हाड़ी ठिकाना के राजपरिवार के लोग आज भी यहां दर्शन करने आते हैं। इसे सिर्फ ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि राजघराने की आस्था से भी जुड़ा स्थान माना जाता है।

बीजासन माता मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास की ऐसी धारा है जो पूरे हाड़ौती को जोड़ती है। यहां हर वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। खासतौर पर नवरात्रि और पूर्णिमा के दिन यहां श्रद्धालुओं का मेला लगता है। नवरात्रि में यहां नौ दिन का भव्य मेला लगता है। इस दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी बढ़ जाती है कि मंदिर परिसर और आसपास का इलाका पूरा आस्था के रंग में रंग जाता है। पंचमी और अष्टमी के दिन सबसे ज्यादा भीड़ रहती है।

कई श्रद्धालु पूरे नौ दिन मंदिर परिसर में ही डेरा डालते हैं। मंदिर हरे-भरे वातावरण में स्थित है। आसपास के क्षेत्र में मेला लगने पर बड़ी संख्या में दुकानें सजती हैं। श्रद्धालु यहां से माता की प्रतिमाएं, नारियल, चुनरी और अन्य पूजा सामग्री खरीदते हैं। धार्मिक विद्वानों का मानना है कि बीजासन माता शक्ति स्वरूपा हैं। यहां साधना करने से मानसिक शांति मिलती है। यही कारण है कि कई श्रद्धालु दिन-रात मंदिर में भजन-कीर्तन करते हैं। नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष पूजन और हवन का आयोजन किया जाता है। माता के दरबार को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है।

हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस आयोजन का हिस्सा बनते हैं। बीजासन माता मंदिर सिर्फ धार्मिक धाम नहीं, बल्कि यह समर्पण और विश्वास का केन्द्र है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं और मां से आशीर्वाद लेकर जाते हैं।

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