लखीमपुर खीरी मामला: आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर बुधवार को फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

Sabal Singh Bhati
4 Min Read

नई दिल्ली, 24 जनवरी ()। सुप्रीम कोर्ट 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य आरोपी और केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर बुधवार को अपना फैसला सुनाएगा।

शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गई वाद सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की पीठ 25 जनवरी को फैसला सुनाएगी। शीर्ष अदालत ने 19 जनवरी को मिश्रा की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध किया। उन्होंने प्रस्तुत किया था कि यह एक गंभीर और जघन्य अपराध था और जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। जमानत याचिका का विरोध करने वालों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि जमानत देने से समाज में भयानक संदेश जाएगा।

उन्होंने कहा, यह एक साजिश और एक सुनियोजित हत्या है। मैं इसे चार्जशीट से दिखाऊंगा। वह एक शक्तिशाली व्यक्ति का बेटा है, जिसका प्रतिनिधित्व एक शक्तिशाली वकील कर रहा है। मिश्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दवे की दलील का कड़ा विरोध करते हुए कहा, यह क्या है? कौन शक्तिशाली है? हम हर दिन पेश हो रहे हैं। क्या यह जमानत नहीं देने की शर्त हो सकती है?

उन्होंने प्रस्तुत किया कि उनका मुवक्किल एक वर्ष से अधिक समय से हिरासत में है और जिस तरह से जांच चल रही है, उसे पूरा होने में सात से आठ साल लगेंगे। उन्होंने कहा कि मामले में शिकायतकर्ता जगजीत सिंह कोई चश्मदीद गवाह नहीं है और उनकी शिकायत सिर्फ सुनी-सुनाई पर आधारित है।

रोहतगी ने कहा कि उनका मुवक्किल अपराधी नहीं है और उसका कोई पुराना रिकॉर्ड नहीं है- जगजीत सिंह शिकायतकर्ता हैं और वह चश्मदीद गवाह नहीं हैं। मैं हैरान हूं कि जब आरोपी कह रहे हैं कि हमने लोगों को बेरहमी से कुचला, तो एक ऐसे व्यक्ति के बयान पर एफआईआर दर्ज की जाती है जो चश्मदीद नहीं है?

3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में हुई हिंसा में आठ लोग मारे गए थे, उस समय किसान यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके में दौरे का विरोध कर रहे थे। उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के मुताबिक, चार किसानों को एसयूवी ने कुचल दिया था, जिसमें आशीष मिश्रा बैठा था। इस घटना के बाद गुस्साए किसानों ने कथित तौर पर एक ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी।

पिछले साल 6 दिसंबर को, निचली अदालत ने लखीमपुर खीरी में प्रदर्शनकारी किसानों की मौत के मामले में हत्या, आपराधिक साजिश और अन्य के कथित अपराधों के लिए मिश्रा और 12 अन्य के खिलाफ आरोप तय किए थे, जिससे मुकदमे की शुरूआत का मार्ग प्रशस्त हुआ। मिश्रा सहित कुल 13 आरोपियों पर आईपीसी की धारा 147 और 148 के तहत दंगा, 149, 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 326 (स्वेच्छा से खतरनाक हथियारों से गंभीर चोट पहुंचाना), 427 (शरारत) और 120 बी (आपराधिक साजिश के लिए सजा), और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177 के तहत आरोप लगाए गए हैं।

अन्य 12 आरोपी अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ काले, सत्यम उर्फ सत्य प्रकाश त्रिपाठी, शेखर भारती, सुमित जायसवाल, आशीष पांडे, लवकुश राणा, शिशु पाल, उल्लास कुमार त्रिवेदी, रिंकू राणा और धर्मेंद्र बंजारा हैं। ये सभी जेल में हैं।

केसी/एएनएम

Share This Article
Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times