जोधपुर में लंपी बीमारी से गौवंश संकट में, प्रशासन की अनदेखी

Tina Chouhan

केरू। जोधपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में एक बार फिर गौवंश में लंपी बीमारी ने दस्तक दे दी है। जिससे केरू, बंबोर और आगोलाई के आसपास के गांवों में कई गौवंश बीमार हो रहे हैं। गौसेवक बगताराम गोदारा बावरली, प्रदेश प्रभारी कामधेनु सेना के अनुसार पिछले एक हफ्ते में गौरथ एंबुलेंस की सहायता से 15-20 बीमार गौवंश को जोधपुर चिकित्सालय पहुंचाया गया है। चिकित्सालय में इन गौवंश के लिए अलग वार्ड बना इलाज किया जा रहा है। जबकि सरकार की ओर से ना तो कोई रोकथाम योजना और ना ही टीकाकरण करने की पहल हुई है।

तीन साल पहले वर्ष 2022 में इस बीमारी ने राजस्थान के लाखों गौवंश की जान ली थी। वहीं अब दुबारा इसका संक्रमण सामने आने से ग्रामीण इलाकों में चिंता और भय का माहौल बना हुआ है। सबसे ज्यादा असर केरू, बंबोर और आगोलाई क्षेत्र के गांवों में हाल ही में कई गौवंश इस बीमारी से पीड़ित पाए गए हैं। सूचना मिलते ही कामधेनु सेना के प्रदेश प्रभारी एवं गौरथ एंबुलेंस संचालक गौसेवक बगताराम गोदारा बावरली सक्रिय होकर पीड़ित गौवंश तक चिकित्सा सुविधा पहुंचाने का काम शुरू किया। प्रशासन नहीं चेत रहा।

गौसेवक बगताराम गोदारा का कहना है कि अब तक सरकार की तरफ से लंपी रोकथाम के लिए कोई ठोस योजना या टीकाकरण की व्यवस्था नहीं की गई है। उन्होंने बताया, यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए तो यह बीमारी फिर से भारी तबाही मचा सकती है। ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2022 में जब यह बीमारी फैली थी, तब हजारों गौवंश असमय मौत का शिकार हुए थे। इस बार भी हालात जस के तस हैं, प्रशासन मौन है और गौसेवक ही आगे बढ़कर बीमार गौवंश की जान बचा रहे हैं। तीन साल पहले तड़प-तड़प कर मरा था गौवंश।

वर्ष 2022 में हमने हजारों गायों को तड़प-तड़प कर मरते देखा, अब फिर वही दौर लौट आया है। अगर सरकार ने अभी ध्यान नहीं दिया तो आने वाले दिनों में हालात और भयावह हो सकते हैं। गौरथ एंबुलेंस और गौसेवकों की सक्रियता से कई गौवंश की जान बच रही है, मगर यह प्रयास स्थायी समाधान नहीं है। लंपी बीमारी से निपटने के लिए सरकार को तत्काल टीकाकरण अभियान, दवाइयों की पर्याप्त आपूर्ति और पशु चिकित्सालयों में विशेष वार्ड की व्यवस्था करनी होगी।

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