महाराष्ट्र में किसानों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पूर्ण ऋण माफी की मांग को लेकर बच्चू कडू के नेतृत्व में किसानों का पिछले दो दिनों से नागपुर में अनिश्चितकालीन धरना चल रहा है। इस बीच, बुधवार को किसानों ने नागपुर-मुंबई समृद्धि राजमार्ग को करीब दो घंटे तक जाम रखा। इससे वाहनों का आवागमन पूरी तरह से बाधित हो गया। प्रदर्शन के दौरान किसानों ने राज्य सरकार को बड़ी चेतावनी दी है। प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि यह धरना किसानों के अधिकारों की निर्णायक लड़ाई है।
स्वराज्य पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रशांत डिक्कर ने कहा कि अगर सरकार किसानों के आंदोलन पर ध्यान नहीं देती है और सामान्य ऋण माफी पर कड़ा रुख नहीं अपनाती, तो हम राज्य भर में किसानों का एक बड़ा आंदोलन करेंगे। इस आंदोलन के कारण राजमार्ग पर यातायात बाधित हो गया है और पुलिस प्रशासन अलर्ट पर है। नागपुर में अब ऐसा देखा जा रहा है कि जब तक किसानों की मांगें नहीं मान ली जातीं, यह आंदोलन समाप्त नहीं होगा।
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने बुधवार को प्रहर जनशक्ति पार्टी के नेता बच्चू कडू और उनके समर्थकों को NH-44 खाली करने का निर्देश दिया। इसके बाद भी किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे और अब वे पैदल मार्च करके खुद गिरफ्तारी देने निकल पड़े हैं। जेल जाने को तैयार किसान बच्चू कडू की प्रमुख मांगों में महाराष्ट्र के किसानों की संपूर्ण कर्जमाफी, भारी बारिश से फसल को हुए नुकसान का मुआवजा, राज्य के दिव्यांग नागरिकों को 6 हजार रुपए प्रतिमाह, और किसानों की फसल को MSP दिए जाने की मांग शामिल है।
राज्य सरकार को चेतावनी भी दी गई है कि जब तक उनकी मांगों को नहीं माना जाता, वे आंदोलन को खत्म नहीं करेंगे। बच्चू कडू ने कहा कि अगर किसान हटने को तैयार नहीं हैं तो मैं भी नहीं हटूंगा। सरकार क्या करेगी, हमें मार देगी? हम तैयार हैं। मैं गिरफ्तारी दूंगा। अगर जेल में डालेंगे तो हम जेल जाने को भी तैयार हैं। किसानों के आंदोलन के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार की स्पष्ट भूमिका है। हमने इसके लिए कमेटी भी गठित की है।
आज जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है, उन्हें मदद करना प्राथमिकता है। हम किसानों को उचित समय पर कर्ज माफी देंगे। कर्जमाफी की भी तो पैसा बैंकों में पहले जाएगा। इसलिए अभी बैंकों को फायदा पहुंचाने से ज़्यादा किसानों तक डायरेक्ट मदद पहुंचाना जरूरी है। हम कर्जमाफी के वादे से मुकर नहीं रहे।


