अजमेर। परोपकारिणी सभा द्वारा महर्षि दयानन्द सरस्वती के 142वें बलिदान दिवस पर तीन दिवसीय ऋषि मेला आयोजित किया गया, जिसमें वेद मार्ग पर चलने और उसके प्रचार-प्रसार का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम के पहले सत्र में गुरुकुल ऋषि उद्यान के ब्रह्मचारियों ने प्रस्तुतियां दीं। ब्रह्मचारी ध्रुव आर्य ने भारत को अखण्ड बनाने के लिए जाति से ऊपर उठकर समाज को जोड़ने का संदेश दिया। ब्र. जयदेव ने कविता पाठ किया। आर्य प्रतिनिधि सभा राजस्थान के मंत्री आचार्य जीववर्धन शास्त्री ने कहा कि आर्यसमाज को गरीब और वनवासी लोगों के बीच कार्य करना चाहिए। सभा के सदस्य डॉ.
वेदप्रकाश विद्यार्थी ने महर्षि दयानन्द के पदचिह्नों पर चलने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. सुरेन्द्र कुमार ने की और सभामंत्री कन्हैयालाल आर्य ने संयोजन किया। दूसरे सत्र का विषय ‘महर्षि दयानन्द की विश्व को देन’ था, जिसमें डॉ. रामप्रकाश वर्णी ने दयानंद के उपकारों का गुणगान किया। आचार्य स्वामी ओमानन्द सरस्वती ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। तीसरे सत्र में परोपकारिणी सभा और आर्यसमाज के संबंध को बताया गया, जिसमें आचार्य सत्यनिष्ठ आर्य, वैदिक विद्वान डॉ. जयदेव विद्यालंकार, डॉ. रामचन्द्र आर्य आदि ने व्याख्यान दिए।
वेद गोष्ठी का आयोजन अंतरराष्ट्रीय दयानन्द वेदपीठ दिल्ली और परोपकारिणी सभा अजमेर के सहयोग से किया गया, जो वेदों और महर्षि दयानन्द के मत में ईश्वर के स्वरूप पर केंद्रित थी। इसमें विभिन्न विषयों पर शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। पूर्व कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार ने अध्यक्षता की। ऋषि मेले में महर्षि दयानंद सरस्वती के 200वें जन्मदिवस के अवसर पर वेदभगवान पुस्तक का विमोचन किया गया, जिसमें चारों वेदों की मूल संहिताएं और महर्षि दयानन्द द्वारा प्रतिपादित ईश्वर के स्वरूप से संबंधित विषय शामिल हैं।
यह पुस्तक हिंदी और संस्कृत में है और इसे तैयार करने में तीन साल का समय लगा।