मिशन वात्सल्य की समीक्षा में निर्मला भूरिया ने गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाने के निर्देश दिए

vikram singh Bhati

भोपाल: मध्य प्रदेश में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और समयबद्ध बनाने पर जोर दिया जा रहा है। मंगलवार को ‘मिशन वात्सल्य’ योजना की समीक्षा बैठक में महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि होम विजिट की प्रक्रिया एक महीने के भीतर पूरी की जाए, ताकि बच्चे जल्द से जल्द सुरक्षित परिवारों से जुड़ सकें। बैठक में मंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राज्य का कोई भी बच्चा असुरक्षित या असहाय न रहे। उन्होंने इस मिशन को हर बच्चे के उज्ज्वल भविष्य की सामूहिक प्रतिबद्धता बताया।

“मिशन वात्सल्य केवल एक योजना नहीं, बल्कि हर बच्चे के उज्ज्वल भविष्य की हमारी कलेक्टिव अकाउंटेबिलिटी है। हर बच्चे को शिक्षा, संरक्षण और सम्मान का अधिकार मिले, यह सुनिश्चित किया जाएगा।” — निर्मला भूरिया, महिला एवं बाल विकास मंत्री। अडॉप्शन और आफ्टर केयर पर खास जोर मंत्री निर्मला भूरिया ने अडॉप्शन प्रक्रिया को पूरी तरह ‘CARA पोर्टल’ के माध्यम से संचालित करने की बात कही, जिससे ट्रांसपेरेंसी और अकाउंटेबिलिटी बढ़ी है। इसके अलावा, 18 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों के लिए ‘ऑफ्टर केयर’ योजना पर भी विशेष ध्यान दिया गया।

इस योजना के तहत बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और रोजगार के अवसर दिए जाएंगे। अनाथ बच्चों के लिए विशेष जॉब फेयर और इंटरैक्शन प्रोग्राम आयोजित करने के सुझाव भी दिए गए। अनाथों को आरक्षण और ‘आदर्श भवन’ का प्रस्ताव बैठक में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर चर्चा हुई, जिसके तहत महाराष्ट्र सरकार की तरह मध्य प्रदेश में भी अनाथ बच्चों को सरकारी सेवाओं में 1% आरक्षण दिया जा सकता है। यह प्रस्ताव अभी विचाराधीन है।

इसके साथ ही, बाल देखरेख, ऑफ्टर केयर और दत्तक ग्रहण जैसी सेवाओं को एक ही जगह में लाने के लिए एक ‘कम्पोजिट भवन’ बनाने का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजा गया है। यदि यह मॉडल स्वीकृत होता है, तो मध्य प्रदेश ऐसा आदर्श भवन बनाने वाला देश का पहला राज्य बन सकता है। स्पॉन्सरशिप और बालिकाओं का भविष्य महिला एवं बाल विकास आयुक्त ने बताया कि ‘स्पॉन्सरशिप योजना’ के तहत विधवा, तलाकशुदा और परित्यक्ता माताओं के बच्चों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके लिए फील्ड अधिकारियों को लक्ष्य आधारित मैपिंग के निर्देश दिए गए हैं।

उन्होंने बालिकाओं को शिक्षा और पुलिस भर्ती में मिलने वाले 33% आरक्षण का लाभ लेने के लिए प्रेरित करने पर भी जोर दिया। अधिकारियों को नियमित मैदानी निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। 8 बाल देखरेख संस्थाएं होंगी बंद समीक्षा बैठक में यह जानकारी भी दी गई कि प्रदेश में 8 बाल देखरेख संस्थाओं को बंद करने का प्रस्ताव मिला है। इनमें इंदौर जिले के 2 बालिका गृह, खंडवा, बुरहानपुर, नरसिंहपुर और नर्मदापुरम के 1-1 बालक गृह तथा नर्मदापुरम के 2 खुले आश्रय गृह शामिल हैं। इन संस्थाओं में फिलहाल कोई बच्चा नहीं रह रहा है।

मंत्री ने निर्देश दिए कि यह सुनिश्चित किया जाए कि इन संस्थाओं के बंद होने से कोई भी बच्चा असुरक्षित न रहे और सभी के पुनर्वास की प्रक्रिया नियमों के अनुसार पूरी हो।

Share This Article
Vikram Singh Bhati is author of Niharika Times web portal