क्या आपने कभी सुना है कि मनी प्लांट को खरीदने के बजाय ‘चुराकर’ लाना चाहिए? भारत में यह धारणा अभी भी प्रचलित है। जब भी कोई नया पौधा लाया जाता है, लोग कहते हैं कि मनी प्लांट खरीदा नहीं जाता, बल्कि चुराया जाता है तभी धन टिकता है। लेकिन क्या यह सच है कि ऐसा करने से आपके घर में समृद्धि आती है? या यह सिर्फ एक पुरानी मान्यता है? इस लेख में हम मनी प्लांट चोरी की मान्यता के पीछे के वास्तु कारण, धार्मिक और वैज्ञानिक व्याख्या, और इसके घर के ऊर्जा सर्कल पर प्रभाव के बारे में जानेंगे।
मनी प्लांट को वास्तुशास्त्र में धन और सौभाग्य का पौधा माना जाता है। इसका हरा रंग सकारात्मक ऊर्जा और स्थिरता का प्रतीक है। यह पौधा घर में ऑक्सीजन बढ़ाने, तनाव कम करने और वातावरण को शांत रखने में मदद करता है। वास्तु के अनुसार, मनी प्लांट को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना शुभ माना जाता है, जो माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की दिशा है। जब यह पौधा स्वस्थ रहता है, तो धन का प्रवाह स्थिर माना जाता है। मनी प्लांट चोरी करने की परंपरा का आधार क्या है?
पुरानी मान्यता के अनुसार, अगर आप किसी के घर या दफ्तर से मनी प्लांट की एक डंडी ‘अनजाने में’ ले आते हैं, तो धन-लक्ष्मी आपके साथ आती हैं। यह मान्यता लोक-विश्वास से जुड़ी है। हमारे बुजुर्गों का मानना था कि जो चीज़ मेहनत से नहीं, भावनाओं से मिलती है, वही फलदायी होती है। आजकल इसे शाब्दिक चोरी के बजाय प्रतीकात्मक भावना के रूप में लिया जाता है। इसका मतलब है कि आप इसे खरीदने के बजाय किसी से एक टहनी मांगकर लाएं, ताकि उसमें ‘सकारात्मक ऊर्जा’ बनी रहे। वास्तु के अनुसार, हर पौधे की अपनी ऊर्जा होती है।
मनी प्लांट यदि सही दिशा में लगाया जाए, तो यह घर की ऊर्जा को संतुलित करता है। इसे दक्षिण-पूर्व दिशा में, हरे या भूरे रंग के गमले में रखना चाहिए। इसे सीधे धूप में नहीं रखना चाहिए, हल्की रोशनी में यह तेजी से बढ़ता है। सूखा या मुरझाया पौधा घर में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह आर्थिक रुकावट का संकेत है। वास्तु विशेषज्ञों का कहना है कि मनी प्लांट की समृद्धि सही स्थान और भावना से लगाने से आती है।


