मुकुंदरा में बाघों के लिए बीमारी की जांच कर रहा वन विभाग

Tina Chouhan

कोटा। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ से बाघों को लाने से पहले वन विभाग एमएचटीआर में डिजीज सर्विलांस सर्वे करवा रहा है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) ने बाघों की आबादी को संरक्षित करने के लिए सर्वे शुरू किया है, ताकि जंगल और आसपास के जानवरों में किसी बीमारी का पता लगाया जा सके। यह सर्वे दरा रेंज में 82 वर्ग किमी के घने जंगल में किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि 2020 से 2023 के बीच बाघों की मौत के मामले सामने आए थे, जिसमें बीमारियों का संदेह जताया गया था।

इसलिए, वन विभाग द्वारा बाहरी प्रदेशों से बाघ लाने से पहले यह सर्वे किया जा रहा है। मुकुंदरा के वन्यजीव चिकित्सक तेजेंद्र सिंह रियाड़ ने कहा कि रिजर्व के आसपास बसे गांवों में पालतू पशु जंगल में चराई के लिए आते हैं, जिससे यदि उनमें कोई बीमारी हो तो वह जंगल के वाइल्ड एनिमल को प्रभावित कर सकती है। इस संभावनाओं को देखते हुए सर्वे किया जा रहा है, ताकि पिकोशन रखा जा सके। संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक सुगनाराम जाट ने बताया कि यह सर्वे पिछले वर्ष से शुरू हुआ था।

पहले फेज के सैंपल एकत्रित हो चुके हैं, जिनका विश्लेषण डब्ल्यूएआई द्वारा किया जा रहा है। फिलहाल, हमें रिपोर्ट नहीं मिली है, लेकिन इसकी रिपोर्ट के आधार पर रिजर्व मैनेजमेंट में मदद मिलेगी। सर्वे में पालतू पशुओं से फैलने वाली बीमारियों की जानकारी भी ली जाती है, जिससे प्रीवेंटिव निर्णय लिए जा सकें। इस रिपोर्ट के आधार पर बाघों को बीमारियों से बचाने के लिए कदम उठाए जा सकेंगे। वर्तमान में रिजर्व में चार बाघ हैं, जिनमें एक बाघ और तीन बाघिनें शामिल हैं। बाघ एमटी-5 को 2022 में रणथंभौर से यहां शिफ्ट किया गया था।

इसके बाद मई 2023 में बाघिन एमटी-4 की गर्भावस्था के दौरान मौत हो गई थी। इसके बाद एमटी-6 बाघिन को रणथम्भौर से यहां लाया गया। इसके अतिरिक्त, अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क से 11 दिसंबर 2024 को एक फीमेल शावक को मुकुंदरा में रिलीज किया गया है। वर्तमान में डिजीज सर्विलांस सर्वे जारी है, और पहले फेज के सैंपल का विश्लेषण किया जा रहा है। सुगनाराम जाट ने कहा कि हमने डब्ल्यूएआई को रिपोर्ट देने के लिए पत्र लिखा है।

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