तलाक के लिए मुस्लिम महिलाओं को सिर्फ फैमिली कोर्ट जाना चाहिए : मद्रास हाईकोर्ट

Sabal Singh Bhati
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चेन्नई, 31 जनवरी ()। मद्रास उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि मुस्लिम महिलाओं को खुला (तलाक) की मांग करने के लिए केवल फैमिली कोर्ट से संपर्क करना चाहिए, न कि शरीयत परिषद जैसे जमात के कुछ सदस्यों वाली निजी संस्थाओं के पास जाना चाहिए।

अदालत ने माना कि निजी निकायों द्वारा जारी खुला प्रमाणपत्र कानून में अवैध हैं। न्यायमूर्ति सी. शिवरामन की पीठ ने तमिलनाडु तौहीद जमात, चेन्नई की शरीयत परिषद द्वारा जारी खुला (तलाक) प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया और अलग हुए जोड़े को अपने विवादों को हल करने के लिए फैमिली कोर्ट या तमिलनाडु कानूनी सेवा प्राधिकरण से संपर्क करने का निर्देश दिया।

न्यायाधीश ने 2017 में शरीयत परिषद से अपनी पत्नी द्वारा प्राप्त खुला प्रमाणपत्र को रद्द करने की मांग करने वाले व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया। याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि तमिलनाडु सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1975 के तहत पंजीकृत शरीयत परिषद के पास इस तरह के प्रमाण पत्र जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। उसने अदालत को यह भी बताया कि उसने 2017 में वैवाहिक अधिकारों को बहाल करने के लिए एक याचिका दायर की थी और एकतरफा डिक्री भी प्राप्त की थी।

उन्होंने कहा कि डिक्री को क्रियान्वित करने के लिए याचिका अतिरिक्त फैमिली कोर्ट के न्यायाधीश के समक्ष लंबित थी। अदालत ने याचिकाकर्ता और शरीयत परिषद को सुना, हालांकि याचिकाकर्ता की पत्नी अनुपस्थित रही, वह व्यक्तिगत रूप से या वकील के माध्यम से उपस्थित नहीं हुई। न्यायाधीश ने आगे कहा कि परिवार न्यायालय अधिनियम, 1984 की धारा 7 (1) (बी) के तहत केवल न्यायिक मंच को विवाह को भंग करने का आदेश पारित करने का अधिकार है।

न्यायमूर्ति शिवरामन ने यह भी कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय ने बदर सईद बनाम भारत संघ (2017) मामले में खासियों को खुला प्रमाणपत्र जारी करने से रोक दिया था।

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times