म्यांमार में दिसंबर में चुनाव, भारत भेजेगा निगरानी टीम

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। युद्धग्रस्त म्यांमार में इस साल दिसंबर में चुनाव होने को हैं। पड़ोसी मुल्क में होने वाले इस आम चुनाव की निगरानी के लिए भारत अपनी टीमें भेजेगा। इस बात का दावा म्यांमार की सरकारी मीडिया ने सोमवार को किया। दरअसल, चीन के तियानजिन शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और म्यांमार के सैन्य प्रमुख मिन आंग ह्लाइंग की मुलाकात हुई। ये मुलाकात कई मायनों में खास रही। म्यांमार में इसी साल 28 दिसंबर को चुनाव होने हैं।

बताया जा रहा है कि उस मतदान का हिस्सा है जिसे एक सैन्य समर्थित अंतरिम प्रशासन देश भर में 300 से ज्यादा निर्वाचन क्षेत्रों में कराना चाहता है। इसमें मुख्य विपक्षी सशस्त्र समूह के कब्जे वाले इलाके भी शामिल हैं। विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान। रविवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान इस संबंध में जारी किया है। इस बयान में बताया गया कि पीएम मोदी को उम्मीद है कि म्यांमार में आगामी चुनाव सभी हितधारकों को शामिल करते हुए निष्पक्ष और समावेशी तरीके से होंगे।

उधर, ग्लोबल न्यू लाइट ऑफ म्यांमार के अनुसार, एक दिन पहले, मिन आंग ह्लाइंग ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की और दोनों नेताओं ने चुनाव की तैयारियों में बीजिंग के सहयोग पर चर्चा की। बता दें कि आम चुनाव म्यांमार में भीषण संघर्ष के बीच होंगे। इस कारण माना जा रहा है कि इसका संचालन मुश्किल हो सकता है। पिछले साल मतदाता सूची तैयार करने के लिए राष्ट्रव्यापी जनगणना हुई थी। म्यांमार के सैन्य-समर्थित अधिकारी देश के 330 कस्बों में से केवल 145 का ही सर्वेक्षण कर पाए थे।

म्यांमार की सरकारी मीडिया के अनुसार, अभी तक केवल नौ दलों ने राष्ट्रव्यापी चुनाव लड़ने के लिए पंजीकरण कराया है। वहीं, 5 दलों ने प्रांतीय स्तर पर नामांकन कराया है, जिन्हें सैन्य-समर्थित चुनाव अधिकारियों से अनुमोदन प्राप्त है। सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल न्यू लाइट ऑफ म्यांमार ने बताया कि बैठक में उन्होंने दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने, व्यापार संवर्धन, मैत्री और सहयोग बढ़ाने के उपायों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

बता दें कि करीब 4 साल पहले नोबल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की के नेतृत्व वाली निर्वाचित सरकार को चुनावी धोखाधड़ी के बहाने के बेदखल कर दिया गया। इसके बाद म्यांमार में गृह युद्ध छिड़ गया।

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