नई दिल्ली: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में हवाई संपर्क को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एयरपोर्ट ऑथोरिट ऑफ इंडिया (AAI) और उत्तराखंड सरकार के बीच पिथौरागढ़ स्थित नैनी सैनी हवाई अड्डे के अधिग्रहण के लिए एक MoU पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के बाद एयरपोर्ट का संचालन, प्रबंधन और विकास AAI द्वारा किया जाएगा। इससे न केवल हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे का विकास होगा, बल्कि इस क्षेत्र में हवाई यात्रा को सुगम, सुरक्षित और अधिक विश्वसनीय बनाने की उम्मीद है। क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा।
लगभग 70 एकड़ में फैला नैनी सैनी हवाई अड्डा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। इस MoU का मुख्य उद्देश्य एयरपोर्ट के मौजूदा बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करना और संचालन मानकों को बेहतर बनाना है। इससे उत्तराखंड की क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में सुधार होने की संभावना है। वर्तमान में, एयरपोर्ट के टर्मिनल भवन की क्षमता 40 यात्रियों की है और इसके एप्रन पर एक साथ दो (कोड-2B) विमान पार्क किए जा सकते हैं। AAI द्वारा अधिग्रहण के बाद इन क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा। नैनी सैनी हवाई अड्डे का विकास प्रदेश की स्थानीय कला, संस्कृति और पर्यटन क्षेत्र को नई ऊंचाइयां देगा।
बेहतर हवाई संपर्क से कैलाश-मानसरोवर यात्रा जैसे तीर्थ पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, व्यापार, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में भी नए अवसर खुलेंगे। सरकार का मानना है कि इस पहल से स्थानीय युवाओं के रोजगार के नए रास्ते बनेंगे और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को भी मजबूती मिलेगी। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक्सेसिबल एंड सस्टेनेबल विमानन बुनियादी ढांचे के विजन को भी साकार करता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र में स्थित होने के कारण यह हवाई अड्डा आपदा प्रतिक्रिया क्षमताओं को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे किसी भी आपात स्थिति में राहत और बचाव कार्य तेजी से किए जा सकेंगे।

