भारतीय नौसेना के लिए सबसे उन्नत सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रविवार को 4400 किलोग्राम से अधिक वजनी संचार उपग्रह CMS-03 को लॉन्च किया। ISRO ने बताया कि यह उपग्रह भारत की धरती से भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में प्रक्षिप्त होने वाला सबसे भारी उपग्रह है। इसे LVM3-M5 रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया गया है, जिसे इसकी भारी भारोत्तोलन क्षमता के लिए ‘बाहुबली’ नाम दिया गया है। CMS-03 संचार सैटेलाइट भारतीय नौसेना का अब तक का सबसे उन्नत सैटेलाइट है। यह उपग्रह नौसेना की अंतरिक्ष-आधारित संचार और समुद्री क्षेत्र जागरूकता क्षमताओं को मजबूत करेगा।

इसमें कई स्वदेशी अत्याधुनिक घटक शामिल हैं, जिन्हें विशेष रूप से भारतीय नौसेना की परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकसित किया गया है। ISRO ने बेंगलुरु में बताया कि प्रक्षेपण यान को पूरी तरह से तैयार करके अंतरिक्ष यान के साथ एकीकृत किया गया है और इसे प्रक्षेपण-पूर्व कार्यों के लिए दूसरे प्रक्षेपण स्थल पर ले जाया गया है। LVM3 (प्रक्षेपण यान मार्क-3) ISRO का नया भारी वजन वहन करने वाला प्रक्षेपण यान है, जिसका उपयोग 4,000 किलोग्राम के अंतरिक्ष यान को लागत प्रभावी तरीके से जीटीओ में स्थापित करने के लिए किया गया है।

हालांकि यह दावा किया जा रहा है कि उपग्रह का उपयोग सैन्य निगरानी के लिए भी किया जाएगा, लेकिन इस मामले पर ISRO की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। LVM3 में दो ठोस मोटर ‘स्ट्रैप-ऑन’ (S200), एक द्रव प्रणोदक कोर चरण (L110) और एक क्रायोजेनिक चरण (C25) शामिल हैं, जो ISRO को जीटीओ में 4,000 किलोग्राम तक वजन वाले भारी संचार उपग्रहों को प्रक्षिप्त करने में पूर्ण आत्मनिर्भरता प्रदान करते हैं। ISRO ने कहा कि LVM3-M5 पांचवीं अभियानगत उड़ान है।

इससे पहले, ISRO ने 5 दिसंबर, 2018 को एरियन-5 VA-246 रॉकेट के जरिए जीसैट-11 को प्रक्षिप्त किया था, जो लगभग 5,854 किलोग्राम वजनी था। LVM-3 से ही चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण भी हुआ था, जिसके जरिए भारत 2023 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बना। LVM3 यान 4,000 किलोग्राम वजन का पेलोड जीटीओ तक और 8,000 किलोग्राम वजन का पेलोड पृथ्वी की निचली कक्षा तक ले जाने में सक्षम है।

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