नेपाल और भारत के युवा रूस में भर्ती होकर जान जोखिम में डाल रहे हैं

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारतीयों को रूसी सेना में भर्ती नहीं होना चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा-हमने हाल ही में रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती की खबरें देखी हैं। सरकार ने पिछले एक साल में कई मौकों पर इस तरह के काम में जुड़े जोखिमों और खतरों को हाइलाइट किया है और भारतीय नागरिकों को इस लेकर आगाह भी किया है।

प्रवक्ता ने कहा-हमने दिल्ली और मॉस्को दोनों जगहों पर रूसी अधिकारियों के साथ भी इस मामले को उठाया है और आग्रह किया है कि इसे रोका जाए और हमारे नागरिकों को रिहा किया जाए। ऐसे किसी भी आॅफर से दूर रहें, क्योंकि इसमें रिस्क है। वहीं, नेपाल के भी युवा बड़ी संख्या में रूस की सेना में भर्ती हो रहे हैं। कितने भारतीय रूसी सेना में, कितने लापता।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने 24 जुलाई, 2025 को राज्यसभा को जानकारी दी थी कि रूसी सशस्त्र बलों में 127 भारतीय नागरिक थे, जिनमें से 98 व्यक्तियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। इस मामले पर भारत और रूसी सरकारों के बीच निरंतर बातचीत के परिणामस्वरूप, जिसमें उच्चतम स्तर भी शामिल है, 13 भारतीय नागरिक रूसी सशस्त्र बलों में बचे हैं, जिनमें से 12 के लापता होने की सूचना रूसी पक्ष द्वारा दी गई है। 15,000 नेपाली युवा भर्ती।

अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन पर 11 फरवरी, 2024 को छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने यूक्रेन से युद्ध में लड़ने के लिए 15,000 नेपालियों को भर्ती किया था। कई लोग सदमे में लौट गए। कुछ तो कभी वापस ही नहीं आए। 10 दिन की ट्रेनिंग में ही जंग में धकेल देती है रूसी सेना। एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस में भर्ती के लिए एक नेटवर्क एक्टिव है। ये भर्ती के बाद करीब 10 दिन की ट्रेनिंग देते हैं और फिर मरने के लिए यूक्रेन युद्ध में छोड़ देते हैं।

यहां तक कि रूसी सेना ने जबरन भर्ती भारतीयों और नेपालियों का वॉट्सऐप डिलीट करवा दिया जाता है, ताकि किसी को हकीकत न पता चले। यूक्रेन से लड़ने के बदले क्या मिल रहा पैकेज। पिछले साल रूसी सरकार ने विदेशी लड़ाकों को देश की सेना में शामिल होने के लिए एक आकर्षक पैकेज की घोषणा की थी। इस पैकेज में कम से कम 2,000 डॉलर यानी करीब 2 लाख रुपए प्रति माह वेतन और रूसी पासपोर्ट प्राप्त करने की एक तेज प्रक्रिया शामिल थी। मॉस्को के पास भाड़े के सैनिकों के लिए ट्रेनिंग सेंटर।

सीएनएन ने सैटेलाइट तस्वीरों का इस्तेमाल करके मॉस्को के बाहरी इलाके में स्थित एक सैन्य अकादमी अवनगार्ड ट्रेनिंग सेंटर को दिखाया था। इस अकादमी को एक युवा सैन्य अकादमी के रूप में डिजाइन किया गया था। यह सेंटर खुद को एक देशभक्ति शिक्षा केंद्र करार देता है। इसे रूसी सेना में भर्ती होने वाले विदेशी भाड़े के सैनिकों के लिए एक प्रशिक्षण अकादमी में बदल दिया गया है। नेपाली-भारतीयों को रॉकेट लॉन्चर, टैंकों की ट्रेनिंग। रूस में एक नेपाली सैनिक ने बताया कि उसने अवनगार्ड में रहते हुए रॉकेट लॉन्चर, बम, मशीन गन, ड्रोन और टैंकों का प्रशिक्षण लिया था।

यहां रूस और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रति निष्ठा लेने की शपथ भी दिलवाई जाती है। भारत, अफगानिस्तान और मिस्र से भर्ती हो रहे युवा। रूस में एक नेपाली सैनिक ने सीएनएन को अपने साथी अकादमी कैडेटों को वैश्विक दक्षिण से आने वाला बताया। उसने अफगान, भारतीय, कांगो और मिस्र के सहपाठियों का भी जिक्र किया। सोशल मीडिया पर अवनगार्ड की कक्षा की तस्वीरें, जिनमें दर्जनों दक्षिण एशियाई सैनिक दिखाई दे रहे हैं, उनके साथ मूल रूसी प्रशिक्षक भी हैं। कितने दिन का होता है करार, जानिए।

सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, जिन्हें भर्ती किया जाता है, उनके साथ एक साल का अनुबंध होता है। सैनिकों को एक रूसी बैंक खाता मिलता है, जहां कम से कम 2,000 डॉलर मासिक वेतन जमा होता है। कई लड़ाकों का कहना है कि उन्हें बोनस भी दिया जाता था। जो मोर्चे पर सबसे आगे, उन्हें उतना ही ज्यादा बोनस मिलता है। कुछ का कहना है कि वे 4,000 डॉलर प्रति माह तक कमा लेते थे।

वहीं, भारत-नेपाल में एजेंट किसी तीसरे देश के माध्यम से किसी व्यक्ति के लिए पर्यटक वीजा की व्यवस्था करने के लिए 5,000 से 7,000 डॉलर तक वसूलते हैं।

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