राजस्थान में स्कूल ड्रेस नीति से वस्त्र बाजार को मिलेगा नया impulso

Tina Chouhan

जयपुर। राजस्थान सरकार के स्कूलों में शिक्षकों और विद्यार्थियों की नई ड्रेस नीति से राज्य का वस्त्र बाजार जबरदस्त रफ्तार पकड़ने वाला है। प्रारम्भिक शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में सरकारी और निजी स्कूलों में कुल 55.80 लाख विद्यार्थी और 1.76 लाख शिक्षक हैं। अब यदि सभी के लिए नई ड्रेस तैयार की जाती है तो यह केवल परिधान बदलाव नहीं, बल्कि करीब 4,700 करोड़ रुपए का आर्थिक आंदोलन बन जाएगा।

सरकारी स्कूलों में ड्रेस के लिए राज्य का लगभग दो हजार करोड़ का निवेश और निजी क्षेत्र का 2,700 करोड़ से अधिक का समानांतर खर्च, दोनों मिलकर राजस्थान के वस्त्र बाजार को नई ऊँचाई दे सकते हैं। यह सिर्फ स्कूल ड्रेस बदलाव नहीं, बल्कि राज्य के रोजगार, वस्त्र उत्पादन और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए एक ड्रैस-ड्रिवन ग्रोथ स्टोरी साबित हो सकती है। विद्यार्थियों के लिए सरकार का बड़ा खर्चासरकार ने तय किया है कि प्रत्येक विद्यार्थी की ड्रेस पर औसतन 800 का खर्च आएगा। राज्य के सरकारी स्कूलों में इस समय कुल 24.28 लाख विद्यार्थी हैं।

इस आधार पर सरकार को केवल विद्यार्थियों की ड्रेस पर लगभग 24,28,871 गुणा 800 यानि 1,943 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। यह राशि सीधे वस्त्र उद्योग, कपड़ा आपूर्तिकर्ताओं और सिलाई इकाइयों में पहुँचेगी। सरकारी शिक्षकों के लिए 26 करोड़ से अधिक का ऑर्डरराज्य में 1,76,536 सरकारी शिक्षक हैं। हर शिक्षक को औसतन 1,500 की ड्रेस मिलती है तो कुल लागत होगी यानि 1,76,536 गुणा 1,500 बराबर 26.48 करोड़ रुपए हैं। यह राशि अपेक्षाकृत छोटी लग सकती है, लेकिन इसके माध्यम से स्थानीय दर्जियों, यूनिफॉर्म फैब्रिक दुकानों और छोटे परिधान निर्माताओं को त्वरित लाभ होगा।

निजी स्कूलों में भी बड़ा निजी निवेशनिजी स्कूलों में नामांकित कुल विद्यार्थी 31.51 लाख हैं। यदि एक विद्यार्थी की ड्रेस की औसत कीमत एक हजार मानी जाए तो 31,51,268 गुणा एक हजार यानि 3,151 करोड़ रुपए होंगे। वहीं निजी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को मान लें लगभग 40 हजार की ड्रेस यदि दो हजार में तैयार होती है तो यह और 80 करोड़ रुपए का बाजार बनाएगी। स्थानीय उत्पादन को मिल सकता है बढ़ावायदि सरकार स्थानीय मिलों और हैंडलूम उत्पादकों को प्राथमिकता देती है तो इसका सीधा असर राज्य के रोजगार बाजार पर पड़ेगा।

अनुमान है कि इस प्रक्रिया में 50 हजार से अधिक दर्जी, 5 हजार से अधिक सिलाई इकाइयां और दर्जनों कपड़ा मिलें अस्थायी रूप से अतिरिक्त कर्मचारियों की भर्ती करेंगी। आर्थिक प्रभाववस्त्र उद्योग के जानकारों के अनुसार एक साथ इतने बड़े पैमाने पर ड्रेस निर्माण से कॉटन और डाईंग फैब्रिक की मांग में 20-25 प्रतिशत की बढोतरी हो सकती है। राजस्थान का रेडिमेड परिधान बाजार जो फिलहाल सालाना लगभग 10 हजार करोड़ का है, उसमें अकेले इस नीति से लगभग 40-45 प्रतिशत की बढोतरी संभव है। साथ ही लॉजिस्टिक्स, पैकिंग, बटन और लेबल उद्योग को भी लाभ होगा।

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