राज्य में कुत्तों की जनसंख्या प्रबंधन के लिए नए दिशा-निर्देश

Tina Chouhan

जयपुर। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में स्वायत्त शासन विभाग ने राज्य में कुत्तों की जनसंख्या प्रबंधन नीति और नागरिकों तथा सामुदायिक पशुओं के बीच सह-अस्तित्व को बेहतर बनाने के लिए सभी नगरीय निकायों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये निर्देश एनिमल बर्थ कंट्रोल नियम, 2023 के अनुसार हैं। विभाग के सचिव रवि जैन ने बताया कि स्टरलाइजेशन और टीकाकरण के माध्यम से एबीसी ही कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रण में कमी लाने का वैज्ञानिक और मानवीय तरीका है। सभी निकायों को इन निर्देशों को आंतरिक रूप से प्रसारित करना होगा।

हाल ही में श्वानों के प्रति क्रूरता बरतने वालों को भीलवाड़ा में निलंबित किया गया था। नए निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक निकाय को स्थानीय रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों और पशु कल्याण संगठनों-फीडर्स से परामर्श कर सामुदायिक श्वानों के लिए फीडिंग स्पॉट्स चिन्हित और संरक्षित करने होंगे। स्टरलाइजेशन की आयु सीमा: छह माह से कम आयु के किसी भी कुत्ते का स्टरलाइजेशन नहीं किया जाएगा। शल्य-पूर्व स्वास्थ्य परीक्षण और शल्य-उपरांत देखभाल नियमों के अनुसार अनिवार्य होगी। निगरानी समितियों में स्थानीय पशु कल्याण कार्यकर्ताओं और संगठनों को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा।

प्रत्येक श्वान के पकड़ने, स्टरलाइजेशन, टीकाकरण, रिकवरी और पुन: उसी स्थान पर छोड़े जाने का रिकॉर्ड फोटो-वीडियो प्रमाण सहित रखा जाएगा और विभाग को नियमित रूप से रिपोर्ट भेजी जाएगी। टेंडर में पारदर्शिता: केवल सक्षम और एडब्ल्यूबीआई से मान्यता प्राप्त एजेंसियों को अनुबंध दिया जाएगा। ब्लैकलिस्टेड या नियमों का उल्लंघन करने वाली एजेंसियों को प्रतिबंधित किया जाएगा।

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