जालोर में नवजात का भव्य स्वागत, शिशु गृह में धूमधाम से पहुंची

Kheem Singh Bhati

जालोर के लाल पोल इलाके में 10 दिन पहले एक घर की छत पर मिली नवजात बच्ची को बुधवार को अस्पताल से डिस्चार्ज कर बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया। समिति की टीम ने इस खुशी के पल को उत्सव की तरह मनाया। ढोल-ढमाकों की थाप पर नाचते-गाते सदस्यों ने बच्ची को नए बस स्टैंड स्थित बाल किशोर गृह और शिशु गृह तक पहुंचाया। रास्ते भर चहक के फूल बरसाते हुए पूजा-अर्चना की गई और बच्ची का हार्दिक स्वागत किया।

बताया जाता है कि 5 अक्टूबर को जालोर कोतवाली थाना क्षेत्र के लाल पोल निवासी जावेद खान के मकान के पीछे की दीवार पर अज्ञात व्यक्ति ने करीब 30 मिनट पहले जन्मी नवजात को छोड़ दिया था। सूचना मिलते ही पुलिस टीम ने तुरंत बच्ची को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। चिकित्सकों ने बताया कि बच्ची पूरी तरह स्वस्थ थी और इलाज के बाद 10 दिनों में पूरी तरह फिट हो गई। डिस्चार्ज के बाद डॉक्टरों ने बच्ची को बाल कल्याण समिति के हवाले कर दिया।

शिशु गृह पहुंचते ही समिति की अध्यक्ष मोहर कंवर ने थाली में दीप जलाकर बच्ची का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “यह बच्ची हमारे परिवार का नया सदस्य है। हम इसे प्यार और देखभाल से पालेंगे।” इस दौरान समिति के सदस्यों ने ढोल की धुन पर ठुमके लगाए और आसपास के लोग भी इस खुशी में शरीक हो गए। समिति ने अभिभावकों से अपील की कि यदि कोई माता-पिता शारीरिक, भावनात्मक या सामाजिक कारणों से बच्चे को पालने में असमर्थ हैं, तो उसे जंगल, झाड़ियां या असुरक्षित जगहों पर न छोड़ें।

इसके बजाय न्यू बस स्टॉप के पास स्थित विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी (शिशु गृह) जालोर या डीटीओ कार्यालय के निकट मातृ एवं शिशु अस्पताल के पालना गृह में सुरक्षित रूप से परित्याग करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में माता-पिता के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होगी और उनकी पहचान पूरी गोपनीय रखी जाएगी। जिले में संचालित विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी (शिशु गृह) जालोर के माध्यम से नवजात शिशुओं को गोद लेने की सुविधा उपलब्ध है। इच्छुक दंपति भारत सरकार के केंद्रीय दत्तक प्राधिकरण (CARA) की आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

मोहर कंवर ने चेतावनी दी कि बिना विधिक प्रक्रिया के बच्चे को गोद लेना गंभीर अपराध है, जिसमें अधिकतम तीन वर्ष की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। यह घटना जालोरवासियों के बीच बच्चे के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक बनी हुई है। समिति ने उम्मीद जताई है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता अभियान तेज किए जाएंगे।

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