नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के सीट बंटवारे के बाद उम्मीदवारों के नाम का ऐलान शुरू हो गया है। जेडीयू, बीजेपी के बराबर 101 सीटों पर चुनाव लड़ने को राजी हो गई है, लेकिन अपनी मजबूत सीटें किसी भी सूरत में छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। नीतीश कुमार ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर एनडीए के सीट शेयरिंग के समझौते का फॉर्मूला बिगाड़ दिया है। जेडीयू और बीजेपी बराबर-बराबर 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ने का फॉर्मूला तय हुआ था।
इसके अलावा बाकी 41 सीटें सहयोगी दलों में बांट दी गई थीं, जिसमें चिराग पासवान की एलजेपी (आर) को 29 सीटें, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम और जीतनराम मांझी की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा को छह-छह सीटें मिली हैं। एनडीए के सीट शेयरिंग के बाद से उपेंद्र कुशवाहा, जीतनराम मांझी नाराज हैं और अब नीतीश कुमार ने जिस तरह चिराग पासवान को मिली पांच सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं, उससे साफ लग रहा है कि एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा।
चिराग की सीटों पर जेडीयू ने उतारे प्रत्याशी: जेडीयू ने बुधवार को जिन 57 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है, उनमें पांच सीटें ऐसी हैं जिनके बारे में माना जा रहा था कि ये चिराग पासवान के कोटे में रहेंगी। एलजेपी को कुल 29 सीटें मिली हैं। इसमें मोरवा, गायघाट, राजगीर, सोनबरसा और एकमा भी थी, जिस पर जेडीयू ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। राजगीर सीट पर मौजूदा विधायक कौशल किशोर और सोनबरसा के विधायक व मंत्री रत्नेश सदा को जेडीयू ने प्रत्याशी बनाया है।
जेडीयू ने एकमा सीट पर पूर्व विधायक धूमल सिंह को प्रत्याशी बनाया है। मोरवा सीट पर विद्यासागर निषाद और गायघाट सीट से कोमल सिंह को जेडीयू ने टिकट दिया है। सीट बंटवारे में ये पांचों सीटें चिराग पासवान के खाते में गई थीं, जिस पर नीतीश कुमार ने अपने प्रत्याशी उतारकर साफ कर दिया है कि वो किसी भी सूरत में अपनी मजबूत सीटें नहीं छोड़ेंगे। मांझी ने भी दिखाया चिराग को तेवर: जीतन राम मांझी ने भी ऐलान किया है कि वह चिराग पासवान को मिली मखदुमपुर सीट पर अपना प्रत्याशी उतारेंगे।
इस तरह से एनडीए में अब खुल्लम खुल्ला लड़ाई शुरू हो गई है। चिराग पासवान ने जिन 29 सीटों पर चुनाव लड़ने का अभी तक प्लान बनाया है, उनमें से कई सीटें ऐसी हैं, जिन पर जेडीयू और बीजेपी का कब्जा है। बीजेपी भले ही अपनी जीती सीटें छोड़ रही हो, लेकिन जेडीयू अपनी जीती हुई सीटें एलजेपी के लिए छोड़ने को तैयार नहीं है। जेडीयू ने जिस तरह से पिछले चुनाव में सीटें जीती थीं, उनमें से छोड़ना उसके लिए आसान नहीं है। बीजेपी कैसे बनाएगी सियासी संतुलन?
बिहार के बीजेपी प्रभारी विनोद तावड़े पिछले एक साल से पार्टी के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाने में लगे हुए थे, लेकिन जिस तरह सीट शेयरिंग का ऐलान होते ही मांझी से लेकर कुशवाहा और नीतीश कुमार ने तेवर दिखाए, उससे सब बेकार हो गया। चुनावी सरगर्मी के बीच बीजेपी के लिए सियासी संतुलन बनाना मुश्किल होता जा रहा है। जेडीयू का तर्क है कि सीट शेयरिंग की बात जब तक पटना में चल रही थी, तब चिराग को 22 सीटें देने पर ही सहमति थी।


