नीतीश के कभी बेहद अपने थे, अब बन गए हैं मुसीबत

Sabal Singh Bhati
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पटना, 31 जनवरी ()। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले करीब 17 वर्षों से निष्कंटक सत्ता के शीर्ष पर हैं। इस दौरान कई नेता उनके बेहद निकट आए, लेकिन फिलहाल देखा जाए तो नीतीश आज जितने अपने विरोधियों से परेशान नहीं हैं, उतने कभी खास रहे अपनों से परेशान हैं। आज यही अपने उनके लिए मुसीबत बने हुए हैं।

बिहार की सियासत में ऐसे तो मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा विभिन्न मुद्दों को लेकर नीतीश कुमार को घेर ही रही है, प्रशांत किशोर, आर सी पी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा तीन ऐसे नेता हैं, जो मुख्यमंत्री को आईना दिखाने से नहीं चूक रहे।

जदयू के पूर्व अध्यक्ष रहे और नीतीश कुमार के जिला नालंदा से आने वाले आर सी पी सिंह कभी नीतीश कुमार के काफी नजदीकी थे। पार्टी के बड़े निर्णयों में सिंह की सहभागिता होती थी।

एक दौर था जब सिंह की जगह पार्टी में नीतीश के बाद दूसरे नंबर पर माना जाता था, लेकिन दोनों में ऐसी दूरी बढ़ी की सिंह पर भाजपा से मिलकर पार्टी तोड़ने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया। इसके बाद सिंह की पार्टी से विदाई हो गई।

इधर, पार्टी के संसदीय बोर्ड के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा लगातार मुख्यमंत्री और पार्टी के अध्यक्ष ललन सिंह को आईना देखा रहे हैं। मंगलवार को भी कुशवाहा ने साफ तौर पर कहा कि संसदीय बोर्ड का प्रमुख बनाकर पार्टी ने उन्हें झुनझुना थमा दिया। उन्होंने यह भी कह दिया कि पार्टी ने उन्हें अधिकार नहीं दिया।

उल्लेखनीय है कि उपेंद्र कुशवाहा ने राजनीतिक सफर समता पार्टी से शुरू किया था और नीतीश के खास थे। इसके बाद उनका और नीतीश के बाद कई बार अलगाव हुआ और फिर दोनों एक साथ भी हुए।

इन दिनों देश में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी बिहार की यात्रा पर हैं। जन सुराज पदयात्रा के दौरान किशोर अब तक 1400 किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर चुके हैं। इस क्रम में वे गांव में पहुंच रहे है और लोगों से मिल रहे हैं।

किशोर इस दौरान नीतीश कुमार पर जम कर सियासी हमला बोल रहे हैं।

प्रशांत किशोर ने 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की चुनाव रणनीति बनाई थी। इस चुनाव में भाजपा को जीत मिली। इसके बाद प्रशांत किशोर ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुनावी रणनीति बनाई।

बिहार में चुनाव जिताने में मदद करने के बाद किशोर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इतने करीब आ गए कि उन्हें नीतीश ने सलाहकार बना लिया। इसके बाद वे जदयू में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बने।

इसके बाद दोनों में तल्खी बढ़ गई और फिर किशोर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

बहरहाल, कभी नीतीश के बेहद करीबी ये तीनों लोग जदयू के ही नहीं नीतीश कुमार के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। अब देखने वाली बात होगी कि जदयू इनसे कैसे निपटती है।

एमएनपी/

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times