संसद में गतिरोध को समाप्त करने के लिए संवाद की आवश्यकता: ओम बिरला

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि सदनों में नियोजित गतिरोध बढ़ना हम सभी के लिए गंभीर चिंता का विषय है इसलिए इसे समाप्त करने के लिए व्यापक संवाद की आवश्यकता है। बिरला ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में आयोजित 11वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ – भारत क्षेत्र सम्मेलन के समापन पर शनिवार को अपने संबोधन में कहा कि सदनों में नियोजित गतिरोध बढ़ना हम सभी के लिए गंभीर चिंता का विषय है। इस प्रवृत्ति को समाप्त करने के लिए सभी राजनीतिक दलों और जनप्रतिनिधियों के साथ व्यापक संवाद आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि राजनीति में विचारों और मतभिन्नताओं का होना स्वाभाविक है, क्योंकि यही लोकतंत्र की आत्मा है। इन मतभिन्नताओं के बावजूद चर्चा और संवाद को कभी थमना नहीं चाहिए। जन आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए हमारी विधायी संस्थाओं को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और उत्तरदायी होना होगा, तथा इसके लिए तकनीकी साधनों का सकारात्मक और अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधानमंडलों की लाइब्रेरी, रिसर्च और रेफरेंस शाखाओं को और सशक्त बनाना समय की मांग है, ताकि सदनों में होने वाली बहस अधिक गहन, सार्थक और तथ्य परक हो सके।

लोकतंत्र में असहमति का भी एक मूल मूल्य है। इसलिए असहमति को परिपक्वता और सहनशीलता के साथ स्वीकार किया जाना चाहिए तथा बहस को मुद्दों तक सीमित रखा जाना चाहिए, न कि व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप तक हो। उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण के कारण आज अधिकांश विधानसभाएँ जनता तक और अधिक सुगमता से पहुँची हैं। आने वाले समय में डिजिटलीकरण का और सकारात्मक उपयोग कर जनता और विधानमंडलों के बीच जुड़ाव को और सशक्त किया जाएगा। भारत का लोकतंत्र और संविधान आज पूरी दुनिया के लिए मार्गदर्शक बन चुके हैं।

ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी संस्थाओं को और अधिक सशक्त, प्रेरक और अनुकरणीय बनाएँ।

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