केरल में विपक्ष ने माकपा पर माफियाओं को संरक्षण देने का लगाया आरोप

Sabal Singh Bhati
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तिरुवनंतपुरम, 12 जनवरी ()। केरल में विपक्ष ने सत्तारूढ़ माकपा पर माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप लगाया है, खासकर उन माफियाओं को जो प्रतिबंधित तंबाकू उत्पादों के वितरण में लगे हैं। तंबाकू उत्पादों से भरे एक लॉरी के साथ दो लोगों के पकड़े जाने पर कांग्रेस और भाजपा ने पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की।

यह पता चला कि लॉरी अलाप्पुझा में माकपा पार्षद ए. शाहनवाज की थी और खेप के साथ गिरफ्तार किए गए दो लोग पार्षद के करीबी सहयोगी थे। शाहनवाज ने पहले गिरफ्तार किए गए दोनों लोगों से अनभिज्ञता जताई थी।

लेकिन बाद में शाहनवाज का जन्मदिन मनाते हुए तीनों की तस्वीरें सामने आईं, जिससे पार्टी को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

राज्य के संस्कृति मंत्री साजी चेरियन ने शाहनवाज को क्लीन चिट देते हुए कहा कि आरोपों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है, जबकि उनके पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है।

सूत्रों के अनुसार लॉरी जब्त होने के बाद उत्पन्न स्थिति का आकलन करने वाले 14 सदस्यों में 12 शाहनवाज के प्रबल समर्थक हैं।

इस बीच विपक्ष के नेता वी.डी.सतीसन ने आरोप लगाया कि वे लंबे समय से कह रहे हैं कि माकपा नेता राज्य में सक्रिय माफियाओं को बचा रहे हैं।

सतीशन ने कहा, हम चाहते हैं कि मुख्यमंत्री विजयन और सीपीआई-एम के राज्य सचिव इस मामले पर टिप्पणी कर,ें क्योंकि एक तरफ यह सरकार ड्रग्स के बुरे प्रभावों के खिलाफ करोड़ों खर्च कर रही है, वहीं दूसरी तरफ इसके पार्टी कैडर और नेता खुद एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं।

विपक्ष के नेता ने कहा, जब हमने 9 दिसंबर को राज्य विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया, तो विजयन सहित माकपा नेताओं ने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया कि किसी को मीडिया रिपोटरें पर नहीं जाना चाहिए।

राज्य भाजपा अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा कि कैडर और स्थानीय नेता माफिया गतिविधियों में शामिल हैं, क्योंकि उन्हें शीर्ष अधिकारियों से संरक्षण मिलता है, जैसे शाहनवाज को चेरियन का पूरा समर्थन मिला है।

सुरेंद्रन ने जोर देकर कहा, यह तथ्य कि पार्टी तीन दिनों के बाद इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बैठी है, इस बात की पुष्टि करती है कि गलत करने वालों को उच्चाधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने कहा कि केरल सीपीआई-एम भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है और जब ये मुद्दे सामने आते हैं, तो सीपीआई-एम अन्य मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करके इसे हटा देता है।

सीबीटी

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