मध्य प्रदेश में जल्दी ही एक बड़ी निर्माण इकाई की शुरुआत होने वाली है। केंद्र सरकार ने मोदी सरकार के तहत 496 करोड़ रुपये की लागत वाली पॉलीप्रोपाइलीन फिल्म निर्माण परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस इकाई की स्थापना से न केवल मध्य प्रदेश की आर्थिक प्रगति होगी, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। यह परियोजना पीएम मोदी के मेक इन इंडिया अभियान में मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है। पॉलीप्रोपाइलीन फिल्म का निर्माण अब मध्य प्रदेश में होगा, जिसका उपयोग कैपेसिटर निर्माण में प्रमुख रूप से होता है।
यह एक महत्वपूर्ण सामग्री है, और भारत सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ईसीएमएस) के तहत स्थापित होगी। इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोटिव, आईसीटी, औद्योगिक एवं विनिर्माण, दूरसंचार एवं कंप्यूटिंग उपकरणों के लिए इसका निर्माण भारत में शुरू होगा। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 7 परियोजनाओं की पहली श्रृंखला को मंजूरी दी है। इसके बाद मल्टी-लेयर प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी), एचडीआई पीसीबी, कैमरा मॉड्यूल, कॉपर क्लैड लैमिनेट और पॉलीप्रोपाइलीन फिल्म का निर्माण भी भारत में होगा।
यह कदम भारत में तैयार उत्पादों के निर्माण से लेकर मॉड्यूल, कंपोनेंट, सामग्री और उनके निर्माण में प्रयुक्त मशीनरी के निर्माण तक की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ईसीएमएस का लाभ लेने के लिए 249 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिसमें 1.15 लाख करोड़ रुपये का निवेश, 10.34 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन और 1.42 लाख नौकरियों का सृजन शामिल है। यह भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा निवेश है। तमिलनाडु को 5, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश को एक-एक परियोजना मिली है।
इन परियोजनाओं से 36,559 करोड़ रुपये मूल्य के कलपुर्जों का उत्पादन होगा और 5,100 से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन होगा। यह संतुलित क्षेत्रीय विकास और महानगरों से परे उच्च तकनीक निर्माण के विस्तार को दर्शाता है। इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जा निर्माण योजना 8 अप्रैल 2025 को 22,919 करोड़ रुपये के कुल व्यय के साथ अधिसूचित की गई थी। इसकी अवधि छह वर्ष है। इसका उद्देश्य देश में इलेक्ट्रॉनिक्स घटक निर्माण के लिए एक मजबूत और आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।

