हिंदू धर्म में तिथियों, त्योहार और व्रत का बहुत अधिक महत्व माना गया है। प्रदोष एक ऐसा ही व्रत है जिसे काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। दरअसल, प्रदोष महादेव की प्रिय तिथि मानी गई है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति पूरी भक्ति और पवित्र मन से इस दिन शिवजी की आराधना करता है उसकी सारी मनोकामना पूरी हो जाती है। इन दोनों मार्गशीर्ष यानी अगहन मास चल रहा है जिसे काफी महत्व माना गया है। यह हिंदू धर्म के सबसे पवित्र महीना में से एक है।
चलिए हम आपको बता देते हैं कि इस बार मार्गशीर्ष मास का पहला प्रदोष कब आ रहा है। बता दे कि यह व्रत सोमवार के दिन आ रहा है जिसकी वजह से इसका महत्व कई गुना बढ़ गया है। सोमवार को आ रहा है प्रदोष व्रत सोमवार के दिन प्रदोष का व्रत आने से इसे बहुत खास माना जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक जब प्रदोष तिथि सोमवार को आती है तो अपने साथ अत्यंत दुर्लभ और शुभ परिणाम लेकर आते हैं।
इस दिन की गई भगवान शिव की उपासना, मंत्र जाप, रुद्राभिषेक विशेष पुण्य और कृपा देने का काम करते हैं। चल जान लेते हैं कि इस दिन कौन सा सहयोग बना रहा है और यह तिथि कब से कब तक रहने वाली है। कब है प्रदोष व्रत वैदिक पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 नवंबर को सुबह 4:46 पर शुरू होगी। 18 नवंबर की सुबह 7:11 पर इसका समापन होगा। उदया तिथि के मुताबिक यह व्रत 17 नवंबर को रखा जाने वाला है।
जो भक्त विधि विधान से पूजा करेगा उसे महादेव की कृपा प्राप्त होगी। बन रहे ये शुभ संयोग प्रदोष व्रत के दिन अभिजीत मुहूर्त का शुभ संयोग बन रहा है। इस सहयोग को बहुत शक्तिशाली, दुर्लभ और कार्य सिद्धि देने वाला माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि जो इस मुहूर्त में पूजा या जाप करता है उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अभिजीत मुहूर्त का समय 11:45 से 12:27 तक रहेगा। जो दिव्य संयोग बन रहे हैं उसकी वजह से यह व्रत और भी सिद्धि दायक बन चुका है।
प्रदोष व्रत पर जलाभिषेक, दीप आराधना और पूजन जरूर करें। होंगे ये लाभ सोम प्रदोष का व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। चंद्रदोष दूर करने के लिए भी इस शुभ माना गया है। इस दिन जो शिव पार्वती की पूजा करता है उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है। जिन लोगों का विवाह नहीं हुआ है उनके लिए विवाह के संयोग निर्मित होने लगते हैं। अगर अच्छा जीवन साथी प्राप्त करना है तो यह व्रत किया जा सकता है। यह व्रत अष्ट सिद्धि और नव निधियों का आशीर्वाद देता है।
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