क्या प्रशांत किशोर अपने संन्यास के वादे को निभाएंगे?

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों ने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (जेएसपी) की पूरी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। एग्जिट पोल्स ने 0-5 सीटों का अनुमान लगाया था, पर पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। जिन उम्मीदवारों को मजबूत माना जा रहा था, वे भी कहीं टक्कर नहीं दे पाए। रैलियों में उमड़ने वाली भीड़ भी वोट में तब्दील नहीं हो पाई, और वोटकटवा बनने की उम्मीदें भी धराशायी हो गईं। चुनाव प्रचार के दौरान प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि जेडीयू 25 से ज्यादा सीटें नहीं ला पाएगी।

उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि अगर ऐसा हुआ तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। अब जब जेडीयू ने 25 से अधिक सीटें हासिल कर ली हैं, तो सवाल उठ रहा है-क्या किशोर अपना वादा निभाएँगे? पहले भी बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ऐसा वादा निभा चुके हैं, जिससे किशोर पर दबाव और बढ़ गया है। किशोर ने पहले तेजस्वी यादव के खिलाफ राघोपुर से चुनाव लड़ने की बात कही, पर बाद में पीछे हट गए। इससे उनकी विश्वसनीयता और वैकल्पिक नेतृत्व की छवि कमजोर हुई। मोदी-शाह पर सीधा निशाना साधने से किशोर बचते रहे।

इससे जनता के बीच यह धारणा बनी कि जेएसपी बीजेपी की बी टीम की तरह काम कर रही है। जब पूरा विपक्ष मोदी-शाह को सीधे चुनौती दे रहा था, तब किशोर का बचाव की मुद्रा में रहना उन्हें नुकसान दे गया। किशोर ने सम्राट चौधरी और अशोक चौधरी पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, लेकिन इन आरोपों को जमीनी लड़ाई में बदलने में असफल रहे। मुद्दे केवल प्रेस कॉन्फ्रेंस तक सीमित रह गए, जिससे उनकी आक्रामक राजनीति का प्रभाव कमजोर रहा।

हालाँकि किशोर ने राजनीति में जातिवाद खत्म करने का दावा किया था, लेकिन टिकट वितरण में वही परंपरागत जाति-धर्म समीकरण दिखे। इससे नई राजनीति का उनका दावा खोखला साबित हुआ और जनता का भरोसा कमजोर पड़ा। महिलाओं में व्यापक समर्थन पाने वाली शराबबंदी नीति का किशोर ने खुलकर विरोध किया। उन्होंने सत्ता में आते ही 24 घंटे में शराबबंदी हटाने का वादा किया। यह कदम राजनीतिक रूप से घातक साबित हुआ, क्योंकि महिलाएं इसे पारिवारिक शांति और सुरक्षा से जोड़कर देखती हैं।

प्रशांत किशोर ने अभी कुछ दिन पहले अपने एक वक्तव्य में यह भी कहा कि वो अगले 5 साल और जनता के बीच संघर्ष करेंगे, लेकिन इसके पहले यह किशोर को यह देखना जरूर चाहिए कि उन्हें इतनी बुरी हार का क्यों सामना करना पड़ा?

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