जयपुर। राजस्थान सरकार द्वारा लगाए गए 50 पैसे प्रति सैकड़ा ‘यूजर चार्ज’ के विरोध में राज्य की 247 मंडियों में व्यापार आज नौवें दिन भी बंद रहा। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के आह्वान पर मंडियों ने 21 अगस्त से अनिश्चितकाल के लिए अपना कारोबार बंद रखने का फैसला लिया था। व्यापारियों का कहना है कि जब तक सरकार इस शुल्क को वापस नहीं लेती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। क्यों हो रहा है विरोध? राज्य सरकार ने आटा, मैदा, दाल, खाद्य तेल, मसाले और पशु आहार जैसी वस्तुओं की खरीद-बिक्री पर यह नया शुल्क लगाया है।
व्यापारियों का तर्क है कि यह शुल्क केवल मंडी के भीतर होने वाले व्यापार पर लागू है, जबकि बाहर होने वाले कारोबार को इससे छूट दी गई है। इससे मंडी में बिकने वाले सामान महंगे हो जाएंगे और ग्राहक मंडी के बाहर से खरीदारी करने लगेंगे। व्यापारियों का मानना है कि इस नीति से धीरे-धीरे मंडियां खत्म हो जाएंगी, और व्यापारी, मुनीम, गुमाश्ता और मजदूर जैसे हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। इसी कारण, व्यापारी सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध कर रहे हैं। विरोध की लहर पूरे राज्य में यह विरोध केवल राजधानी तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राजस्थान में फैल चुका है।
गंगापुरसिटी, अलवर, श्रीमाधोपुर, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, सीकर, दौसा, उदयपुर, भरतपुर, धौलपुर, पाली, और सुमेरपुर जैसी प्रमुख मंडियों से भी व्यापार बंद रहने और धरने-प्रदर्शन की खबरें मिली हैं। व्यापारियों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी विधायकों को सौंपकर इस शुल्क को हटाने की मांग की है। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने सरकार से जल्द से जल्द बातचीत करने और इस समस्या का समाधान निकालने की अपील की है, ताकि मंडियों में सामान्य कामकाज बहाल हो सके और किसानों व उपभोक्ताओं को हो रही परेशानी दूर हो।