जयपुर। राजस्थान में कोचिंग सेंटरों की मनमानी रोकने और छात्रों की आत्महत्या पर अंकुश लगाने के लिए बुधवार को विधानसभा में प्रवर समिति द्वारा प्रतिवेदित राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण और विनियम विधेयक-2025 को विधानसभा में पारित करने की तैयारी है। बीते बजट सत्र में सत्ता-प्रतिपक्ष ने विधेयक प्रावधान पर सवाल उठाए थे। तब पारित करने की जगह इसे प्रवर समिति को संशोधन के लिए भेजा था। अब संशोधित बिल में कोचिंग सेंटर की श्रेणी में 100 या इससे अधिक छात्रों की संख्या वाले ही संस्थान आएंगे। पहले यह संख्या 50 रखी गई थी। कोचिंगों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
तय नियमों को फॉलो करना होगा। छात्र बीच में ही सेंटर छोड़ेगा तो हॉस्टल सहित बाकी फीस लौटानी होगी। किसी भी कोचिंग की जितनी ब्रांच होगी, उन्हें पृथक यूनिट माना जाएगा और हरेक का रजिस्ट्रेशन कराना होगा। सभी पर कानून के प्रोटोकॉल और नियम अलग-अलग ही लागू होंगे। हालांकि नियमों को तोड़ने पर कोचिंग पर लगाई जाने वाले जुर्माना राशि कम कर राहत दी जा सकती है। विधेयक में नियम तोड़ने पर पहली बार जुर्माना राशि 2 लाख से घटाकर 50 हजार, दूसरी बार पर 5 लाख की जगह 2 लाख हो सकती है।
डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने विधेयक पर समिति रिपोर्ट को सोमवार सदन में भी रखा है। ये प्रावधान हो सकते हैं लागूकोचिंगों पर मोनिटरिंग, नियम फॉलो कराने को प्राधिकरण बनेगा। जिसमें उच्च शिक्षा विभाग के सचिव अध्यक्ष होंगे। स्कूल, तकनीकी, कॉलेज, मेडिकल शिक्षा, आईजी रेंज पुलिस अधिकारी, कोचिंग सेंटर और छात्रों के अभिभावक सदस्य होंगे। छात्रों को फीस चार किश्तों में जमा कराने की सहूलियत होगी। जिसकी रसीद देनी होगी। कोचिंग ने नियमों को बार-बार तोड़ा तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द होगा। जुर्माने की रकम नहीं दी तो संपत्ति जब्त कर पैनल्टी वसूली होगी।
जिला स्तर पर छात्रों की समस्या निवारण को चौबीस घंटे संचालित होने वाले कॉल सेंटर बनेंगे। जिला कलक्टर की अध्यक्षता में समितियां बनेंगी। इसे प्राधिकरण के समरूप शक्तियां होंगी। समिति 3 साल को रजिस्ट्रेशन और फिर इसका रिव्यू भी करेगी। कोचिंग में सरकारी स्कूल या कॉलेज के शिक्षक काम नहीं कर सकेंगे। प्रति छात्र कोचिंग में बैठने को एक वर्गमीटर जगह अनिवार्य होगी। फायर सेफ्टी कोड, बिल्डिंग सिक्योरिटी नियम लागू होंगे। प्राथमिक उपचार और जरूरत पर छात्र को अस्पताल ले जाने की सेवाएं भी लागू हो सकती है। भ्रामक प्रचार नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।
छात्र को अध्यनन सामग्री मुफ्त देनी होगी। छात्र को काउंसलिंग और साइकोलॉजिस्ट सेवाएं देनी होंगी। तनाव कम करने को योग और इससे जुड़ी कार्यशालाएं भी करनी होंगी।


