राजस्थान हाईकोर्ट ने साइबर अपराधों पर राज्य सरकार को दिए निर्देश

Tina Chouhan

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में बढ़ते साइबर अपराधों को लेकर राज्य सरकार को विभिन्न बिंदुओं पर दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके साथ ही अदालत ने साइबर अपराध के मामले में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे बीस वर्षीय युवक को सशर्त जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश मोहित की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

अदालत ने कहा कि साइबर अपराध में आने वाली समस्त शिकायतों को दर्ज किया जाए और संबंधित साइबर थाना तुरंत जांच आरंभ कर हर पन्द्रह दिन में जांच की प्रगति रिपोर्ट एडीजी साइबर क्राइम को भेजें। अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट में साइबर प्रकरणों को लेकर जमानत याचिकाएं बढ़ रही हैं। ऐसे में सरकारी वकील और कोर्ट की सहायता के लिए प्रशिक्षित पुलिस अधिकारी हर सुनवाई पर कोर्ट में पेश हों।

इसके अलावा अदालत ने साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए जन जागरूकता बढ़ाने के लिए हर माह के एक दिन को साइबर जागरूकता दिवस के रूप में मनाने को कहा है। अदालत ने आयकर विभाग, राजस्थान के निदेशक अनुसंधान को साइबर मामलों की जांच की प्रगति की निगरानी करने को कहा है। वहीं अदालत ने जरूरत पड़ने पर आदेश की कॉपी ईडी, जीएसटी, बैंकिंग सहित अन्य संबंधित एजेंसी को देने को कहा है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार इस संबंध में एसओपी जारी करें, ताकि कोर्ट के निर्देशों की पालना सुनिश्चित की जा सके।

अदालत ने स्पष्ट किया है कि यह एसओपी अगस्त, 2021 की मौजूदा एसओपी के साथ काम करेगी। यह लगाई याचिकाकर्ता के आरोपी पर शर्तआरोपी एक ही बैंक खाते से लेनदेन करेगा। जिसकी जानकारी रिहाई से पूर्व जांच अधिकारी और संबंधित कोर्ट को देगा। एक से अधिक खाते होने पर उन्हें रिहाई से पूर्व बंद किया जाएगा। ट्रायल पूरी होने तक आरोपी बैंक खाते का मासिक विवरण जांच अधिकारी और कोर्ट को देगा। आरबीआई परिपत्र जारी कर आरोपी को नया बैंक खाता खोलने से रोकेगा। आरोपी अब तक उपयोग होने वाले बैंक खाते और डिजिटल पेमेंट वॉलेट की जानकारी देगा।

आरोपी केवल एक नॉन स्मार्ट फोन और पोस्टपेड नंबर काम में लेगा। आरोपी वीपीएन, प्रॉक्सी नेटवर्क, जीएसएस वाले लैपटॉप, टैबलेट और कंप्यूटर का उपयोग नहीं करेगा। इनका विवरण आईओ और कोर्ट को देगा। एक तय अवधि या ट्रायल पूरी होने तक आरोपी सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करेगा। नियमित अंतराल में जांच अधिकारी के समक्ष पेश होगा। सामुदायिक सेवा, साइबर एथिक्स और डिजीटल सुरक्षा संबंधित जन जागरूकता कार्यक्त्रमों में भाग लेगा। यदि पैन कार्ड नहीं है तो आरोपी रिहाई से पहले लेगा और लेनदेन का खुलासा करते हुए आयकर रिटर्न भरेगा।

आरोपी अपने परिजनों, नौकर और किरायेदारों के व्यक्तिगत विवरण, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सोशल मीडिया आदि की जानकारी आईओ को देगा। याचिका से जुडे अधिवक्ता एसबी गौतम ने बताया कि याचिकाकर्ता गत 9 जुलाई से न्यायिक अभिरक्षा में है। मामले में कोई पीडित शिकायतकर्ता नहीं है। पुलिस ने अपने स्तर पर ही रिपोर्ट दर्ज की है। प्रकरण में आरोप पत्र पेश हो चुका है। ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए। याचिका का राज्य सरकार की ओर से एएजी राजेश चौधरी ने विरोध किया।

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