जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने झालावाड़ के सरकारी स्कूल की इमारत गिरने के मामले में सुनवाई के दौरान टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि सरकारी इमारतों को क्या हो गया है, कहीं बिल्डिंग गिर रही है तो कहीं आगजनी हो रही है। अदालत ने कहा कि एसएमएस का ट्रोमा सेंटर तो नया बना है, फिर भी वहां हादसा हो गया।
इसके साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार से बताने को कहा है कि झालावाड़ में सरकारी स्कूल की इमारत गिरने से पहले स्कूलों को कितना बजट आवंटित किया गया था और अब इसके लिए कितना बजट आवंटित किया गया है। अदालत ने राज्य सरकार को 9 अक्टूबर को इस संबंध में रोड मैप भी पेश करने को कहा है। अदालत ने कहा कि यदि रोडमैप पेश नहीं किया तो मुख्य सचिव को बुलाया जा सकता है।
जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल और जस्टिस अशोक कुमार जैन की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद अदालत में पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि जर्जर स्कूलों को चिह्नित कर वहां अध्ययनरत विद्यार्थियों को वैकल्पिक स्थानों पर पढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से ऐसी स्कूलों के लिए बजट भी आवंटित किया गया है।
इस पर अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि घटना से पूर्व कितना बजट आवंटित हुआ था और अब कितना बजट दिया गया है। इसके लिए काम कब तक पूरा कर लिया जाएगा। इस पर महाधिवक्ता ने जवाब पेश करने के लिए समय देने को कहा। ऐसे में अदालत ने महाधिवक्ता को 9 अक्टूबर तक का समय दिया है। गौरतलब है कि झालावाड़ के पिपलोदी में हुए स्कूल हादसे के बाद हाईकोर्ट ने जर्जर स्कूल भवनों और बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था।
वहीं अदालत ने पूर्व में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि स्कूल के किसी भी जर्जर भवन में कक्षाएं नहीं लगाई जाए और सरकार बच्चों की पढ़ाई के लिए वैकल्पिक जगह की व्यवस्था करे। इसके अलावा अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को जर्जर स्कूल भवनों को लेकर राज्य सरकार की ओर से की गई व्यवस्था पर रिपोर्ट पेश करने के भी निर्देश दिए थे।


