जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिका में पूर्व राजघराने के सदस्यों के नाम के आगे महाराज और प्रिंसेस लिखने पर आपत्ति जताई है। अदालत ने पूछा कि अब उनके नाम के आगे इन शब्दों का प्रयोग क्यों किया जा रहा है। इसके साथ ही अदालत ने पूर्व राज परिवार के सदस्यों की ओर से दायर याचिका में महाराजा और प्रिंसेज़ टाइटल हटाने को कहा है। जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल ने यह आदेश दिवंगत जगत सिंह और पृथ्वीराज सिंह के कानूनी वारिसों की ओर से दायर याचिकाओं पर दिए।
अदालत ने कहा कि यदि आगामी सुनवाई तक महाराजा और प्रिंसेस शब्द हटाकर संशोधित टाइटल पेश नहीं किया गया तो याचिकाएं खारिज मान ली जाएंगी। मामले की सुनवाई 13 अक्टूबर को तय की गई है। दोनों याचिकाएं साल 2001 में दायर की गई थीं, जिसमें हाउस टैक्स की वसूली को चुनौती दी गई है। ये याचिकाएं तब से हाईकोर्ट में लंबित हैं।
हाईकोर्ट ने जनवरी 2022 में भी इस तरह के एक मामले में महाराज आदि शब्द लगाने पर आपत्ति जताते हुए केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा था कि क्या कोई व्यक्ति अपने नाम से पहले महाराजा, राजा, नवाब या राजकुमार आदि लगा सकता है या नहीं। अदालत ने कहा था कि संविधान में 26वां संशोधन कर अनुच्छेद 363ए जोड़ा गया है, जिसमें पूर्व राज परिवार के प्रिविपर्स को समाप्त किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 14 में सभी लोगों को समानता का अधिकार दिया गया है।
ऐसे में अब कोई भी अपने नाम से पहले महाराज आदि शब्द नहीं लगा सकता।


