राजसमंद में राम राज्याभिषेक के दौरान ज्ञान यज्ञ की पूर्णाहुति

Kheem Singh Bhati

राजसमंद में, जिस प्रकार की चित्तवृत्ति होती है, वैसा ही संसार बन जाता है। यह संसार एक धर्मशाला है, जहाँ कुछ क्षण रुकना है और फिर आगे बढ़ना है। इस रुकने और चलने के बीच का समय ईश्वर के चरणों में समर्पित करना चाहिए। श्रीराम कथा के सप्तम दिवस पर मानस मर्म।

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