जयपुर। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन केंद्रीय दत्तक-ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) और बाल अधिकारिता विभाग, राजस्थान सरकार के संयुक्त तत्वावधान में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (दिव्यांग बच्चों) के गैर-संस्थागत पुनर्वास पर उत्तरी क्षेत्रीय परामर्श बैठक का आयोजन राजस्थान संविधान क्लब जयपुर में हुआ। सीएआरए की मुख्य कार्यकारी अधिकारी भावना सक्सेना ने कहा कि विशेष योग्यजन बच्चों का दत्तक ग्रहण ईश्वर की सेवा के समान पुण्य कार्य है। उन्होंने समाज में जागरूकता और मानसिकता में बदलाव की जरूरत बताई।
बाल अधिकारिता आयुक्त आशीष मोदी ने कहा कि ऐसे बच्चों का पुनर्वास ‘सिम्पैथी’ नहीं बल्कि ‘एमपैथी’ से किया जाए। विशेष योग्यजन विभाग के आयुक्त केसर मीणा ने बताया कि राज्य में 110 विशेष विद्यालय और 37 बौद्धिक दिव्यांग गृह संचालित हैं। बैठक में विभिन्न राज्यों के विशेषज्ञों ने भी भाग लिया।