जयपुर। आरजीएचएस योजना के अंतर्गत 900 करोड़ से अधिक का भुगतान न होने के कारण निजी अस्पताल 80 फीसदी अस्पतालों में कैशलेस इलाज बंद करने का दावा कर रहे हैं। चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने कहा कि अप्रैल से अब तक अस्पतालों को 850 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। मार्च 2025 से पहले की अवधि के उन अस्पतालों का भुगतान बाकी है, जिनमें अनियमितताएं पाई गई थीं। जिनकी जांच और ऑडिट चल रहा है। ऐसे 53 अस्पतालों की आईडी निलंबित की गई है। 196 करोड़ का भुगतान प्रक्रिया में है।
रोजाना योजना में शामिल 520 अस्पतालों में से दो दिनों में 350-400 अस्पताल कैशलेस इलाज कर रहे हैं, जिसमें निजी मेडिकल कॉलेज और संभाग तथा जिला स्तर के प्रमुख मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल शामिल हैं। जिन्होंने सेवाएं देने से मना किया, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। दूसरी ओर, निजी अस्पतालों ने दूसरे दिन भी कैशलेस सेवाएं बंद रखने की बात कही है। गड़बड़ी करने वाले 5 अस्पतालों को सेवा से निलंबित किया गया है। खींवसर ने कहा कि सेवाओं में पारदर्शिता और अनियमितताओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
11 प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी हैं और 23 कार्मिकों को निलंबित किया गया है। 58 मेडिकल स्टोर्स को योजना से असंबद्ध किया गया है। इस सप्ताह 5 निजी अस्पतालों को योजना से निलंबित किया गया है। क्लेम यूनिट और क्लेम रिव्यू कमेटी बनाई गई है। एंटी फ्रॉड यूनिट का गठन किया गया है। ये गड़बड़ियों की जांच और अनियमितताओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। अनुचित दबाव बनाकर भुगतान प्राप्त करने का प्रयास करने वाले अस्पतालों का चिन्हीकरण कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़ ने कहा कि योजना में आधे से ज्यादा अस्पताल सेवाएं दे रहे हैं। नए अस्पतालों को इम्पैनल किया जा रहा है। 350 और अस्पतालों को इम्पैनल करने का प्रस्ताव है।