जयपुर। आत्महत्याओं और आत्महत्या के प्रयासों का बढ़ता आंकड़ा भारत के लिए एक गंभीर चेतावनी है। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, सामाजिक कलंक और आर्थिक दबाव इस संकट को और गहरा रहे हैं। आत्महत्याओं के तरीकों में बदलाव और क्षेत्रीय भिन्नताएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि समाज के हर स्तर पर जागरूकता और हस्तक्षेप की जरूरत है। एनसीआरबी के 2022 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल 1.71 लाख आत्महत्याएं दर्ज की गईं, जो 2021 की तुलना में 4.2% अधिक थीं।
प्रति लाख जनसंख्या पर आत्महत्या की दर 12.4 तक पहुंच गई, जो देश के इतिहास में सबसे अधिक है। 2023 और 2024 के लिए एनसीआरबी के पूर्ण आंकड़े अभी तक सार्वजनिक नहीं हुए हैं, लेकिन प्रारंभिक पुलिस और अस्पताल के रिकॉर्ड्स के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि यह संख्या और बढ़ी है। 2023 में कुछ राज्यों से प्राप्त आंशिक डेटा के अनुसार, आत्महत्याओं की संख्या में लगभग 2-3% की वृद्धि देखी गई। एनसीआरबी डेटा के अनुसार, आत्महत्याओं के तरीकों में पिछले तीन वर्षों में महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए हैं।
फांसी 2022 में आत्महत्याओं का सबसे आम तरीका था, जो कुल आत्महत्याओं का लगभग 55% था। यह तरीका पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रचलित रहा, खासकर 18-45 आयु वर्ग में। जहर खाना दूसरा सबसे आम तरीका रहा, जो लगभग 25% मामलों में देखा गया। ग्रामीण क्षेत्रों में कीटनाशकों का उपयोग और शहरी क्षेत्रों में दवाइयों का दुरुपयोग इसकी प्रमुख वजह रही। ऊंची इमारतों या पुलों से कूदकर आत्महत्या के मामले खासकर शहरी क्षेत्रों में बढ़े हैं। 2022 में यह लगभग 8% मामलों में दर्ज किया गया।
आत्मदाह के मामले, विशेष रूप से महिलाओं में 5% से कम रहे, लेकिन सामाजिक और पारिवारिक दबाव से जुड़े होने के कारण ये मामले सुर्खियों में रहे। अन्य तरीके जैसे डूबना, रेलवे ट्रैक पर कूदना और हथियारों का उपयोग भी कुछ मामलों में सामने आए, लेकिन इनका हिस्सा 10% से कम रहा। एनसीआरबी के 2022 के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में आत्महत्याओं की संख्या 6,758 रही, जो कुल राष्ट्रीय आंकड़ों का लगभग 4% है। आत्महत्या की दर प्रति लाख जनसंख्या पर 8.7 थी, जो राष्ट्रीय औसत (12.4) से कम रही।
जयपुर, राजस्थान की राजधानी में 2022 में 1,021 आत्महत्याएं दर्ज की गईं, जो शहरी क्षेत्रों में मानसिक तनाव और आर्थिक दबाव को दर्शाता है। फांसी 60% और जहर 20% आत्महत्याओं के प्रमुख तरीके रहे। 2023 और 2024 के लिए पूर्ण एनसीआरबी डेटा उपलब्ध नहीं है लेकिन जयपुर पुलिस के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, आत्महत्या के प्रयासों में 10-12% की वृद्धि देखी गई। 2023 में जयपुर में लगभग 1,500 आत्महत्या के प्रयास दर्ज हुए, जिनमें से 70% मामलों में समय पर हस्तक्षेप से जान बचाई गई।
ग्रामीण राजस्थान में किसानों और मजदूरों में आत्महत्याएं प्रमुख रहीं, जबकि जयपुर में नौकरी, शिक्षा और रिश्तों से जुड़ा तनाव मुख्य कारण रहा। सुसाइड प्रिवेंशन में परिजनों-मित्रों की बड़ी भूमिका होती है। यह आवश्यक है कि हमारा ऐसे व्यक्ति के साथ जुड़ाव के साथ साथ एक सार्थक एवं सकारात्मक संवाद बना रहे। उन्हें सुनें और स्वीकारें, सहानुभूति रखें, बिना किसी तरह का आंकलन किए बात सुनें और आत्महत्या से जुड़ी किसी भी बात को गंभीरता से लें।
उन्हें भावनाओं को साझा करने के लिए प्रेरित करना एवं इस बात का एहसास दिलाना कि आप उनके साथ हैं, ये एक आत्मविश्वास का भाव पैदा करता है। आत्महत्या के कुछ संकेत जैसे अत्यधिक उदासी या व्यवहार में अचानक परिवर्तन, नकारात्मक बातों पर जोर, अपनी कीमती एवं प्रिय वस्तुओं को अन्य लोगों को बांटना, हीनता एवं असहाय होने के भाव, मूड स्विंग्स इत्यादि का समय पर संज्ञान लेकर हम प्रोफेशनल हेल्प ले सकते हैं। आत्महत्या के मामले सबसे ज्यादा 15 से 29 वर्ष के युवा, छात्र, किसान, दैनिक मजदूर और गृहिणियों में देखने को मिल रहे हैं।
आत्महत्या के प्रमुख कारणों में पढ़ाई व करियर का दबाव, संबंधों-पारिवारिक समस्याएं और आर्थिक असुरक्षा शामिल हैं। चेतावनी संकेतों को अगर समझ लिया जाए तो आत्महत्या को रोका जा सकता है। इसके लिए में सामाजिक अलगाव, आत्मघाती बातें, अचानक व्यवहार में बदलाव और नशे की लत में वृद्धि जैसे संकेतों को समझ कर व्यक्ति से सकारात्मक संवाद और समर्थन जरूरी है। ऐसा करने से किसी का जीवन बचाया जा सकता है।