सर्दियों में गुलाब और गेंदा के फूल किसी भी घर की सुंदरता को बढ़ाते हैं। लेकिन कई बार पौधों पर न तो कलियां आती हैं और न ही फूल खिलते हैं, चाहे आप कितनी भी मेहनत कर लें। पौधों की देखभाल के बावजूद अगर वे मुरझाए दिखते हैं, तो यह समझना जरूरी है कि फूलों के न आने का कारण पोषण की कमी हो सकती है। पौधों को नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की आवश्यकता होती है, जो कलियों के विकास और फूलों के आकार को बढ़ाने में मदद करते हैं।
इस लेख में हम आपको एक सरल और प्राकृतिक उपाय बताएंगे जिससे आपके गार्डन में दिसंबर तक फूलों की भरपूरता होगी। कई माली मानते हैं कि पौधों को धूप, पानी और खाद मिलने पर वे खुद ही फूलने लगते हैं, लेकिन असलियत यह है कि मिट्टी में फॉस्फोरस की कमी से कलियों का विकास रुक जाता है। पोटाश की कमी फूलों के आकार को छोटा कर देती है। अत्यधिक नाइट्रोजन देने से पौधों की पत्तियां तो घनी होती हैं, लेकिन फूल कम आते हैं।
इसके अलावा, लगातार पानी भरने, धूप की कमी या ठंडी हवाओं से भी पौधे कमजोर हो जाते हैं। लेकिन राहत की बात यह है कि इन समस्याओं का समाधान आपकी रसोई में है: सरसों की खली और केले के छिलके का पाउडर। सरसों की खली एक प्रभावी ऑर्गेनिक खाद है जो पौधों में फूलों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है। इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, कैल्शियम और पोटैशियम की भरपूर मात्रा होती है। इसे लिक्विड फर्टिलाइज़र बनाने के लिए 100 ग्राम सरसों की खली को 1 लीटर पानी में 4-5 दिनों के लिए भिगोकर रखें।
जब घोल से हल्की बदबू आने लगे, तो इसे 10 गुना सादे पानी में मिलाकर हर 15 दिन में पौधे की मिट्टी में डालें। केले के छिलके का पाउडर भी फूलों की कलियों के लिए महत्वपूर्ण है। इसे बनाने के लिए पके केले के छिलकों को धूप में सुखाएं और फिर बारीक पीस लें। इसका उपयोग पौधे की मिट्टी में हल्की गुड़ाई करके और एक चम्मच पाउडर डालकर करें। इसे हर महीने एक बार दोहराएं। दोनों खादों का उपयोग अलग-अलग समय पर करें।
हर 15 दिन में सरसों की खली का लिक्विड फर्टिलाइज़र डालें और महीने में एक बार केले के छिलके का पाउडर मिलाएं। इन खादों के नियमित उपयोग से आपके पौधे हरे-भरे दिखेंगे और दिसंबर तक फूलों की बहार से गार्डन महक उठेगा। घरेलू खाद के फायदे यह हैं कि ये मिट्टी की नमी बनाए रखते हैं और पौधों की जड़ों को मजबूत बनाते हैं। अगर आप नवंबर के पहले हफ्ते में यह उपाय शुरू करते हैं, तो दिसंबर के मध्य तक आपके पौधों में भरपूर कलियां दिखने लगेंगी।


