योगासन करने के नियम – योग मन और शरीर की प्राचीन साधना है जो शारीरिक मुद्राओं, सांस लेने की तकनीक और ध्यान को मिलाकर बनती है। यहाँ पर हम आपको 16 नियम बता रहे है जिनका योगासन करते समय ध्यान रखना चाहिए ।
योगासन करने के नियम
(1) योगासनों का अभ्यास प्रातःकाल शौच आदि से निवृत्त होकर करें । स्नान करके योगासन किये जाएं तो और भी अच्छा है। स्नान करने से शरीर में लचक आ जाती है और आसन अच्छे ढंग से होते हैं। वैसे सायंकाल भी जब पेट खाली हो, हल्के आसन किये जा सकते हैं ।
(2) आसन करने का स्थान शान्त व स्वच्छ वायुमण्डल वाला होना चाहिए, किसी उद्यान-वाटिका में किये जाएं तो बहुत अच्छा है।
(3) जिस स्थान पर आसन करें वह समतल होना चाहिए। दरी या कम्बल बिछाकर आसन करने चाहिए क्योंकि भूमि की चुम्बकीय शक्ति आपके ध्यान को तोड़ेगी नहीं ।
(4) योगासन करते हुए बातचीत बिलकुल न करें। अपने ध्यान को श्वास व शारीरिक स्वास्थ्य पर लगायें। जितना आप एकाग्र होकर आसन करेंगे उतना अधिक शारीरिक व मानसिक लाभ मिलेगा। जब आप आसन शुरू करने लगें, पहले शवासन करके अपने श्वास, शरीर व मन को शान्त करें ।
(5) योगासन अहिंसक व्यायाम है, इसमें झटके नहीं लगने चाहिए। हर आसन को शरीर को तान व खींचकर धीरे से करें और उसके बाद कुछ क्षण अपने शरीर को ‘शिथिल करें। दो आसनों के बीच में थोड़ा आराम दें। जब आपका श्वास स्वाभाविक स्थिति में हो तभी दूसरा आसन करना चाहिए।
(6) आसनों का अभ्यास धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए। आसन की पूर्ण स्थिति तक जाने का प्रतिदिन प्रयास करें। धीरे-धीरे आपके बन्द खुलेंगे और शरीर में लचक पैदा होगी। आसन की पूर्ण स्थिति तक जाने के लिए छः महीन या वर्ष-भर भी लग सकता है, इसलिए निराश न होकर नित्यप्रति अभ्यास करें।
(7) कम-से-कम कपड़े पहनकर आसनों का अभ्यास करें। सदियों में उचित कपड़े शरीर पर अवश्य रखें ताकि योगासन का अभ्यास आप शरीर को शिथिल रखकर कर सकें। नीचे लंगोट बांधकर ऊपर कच्छा या नीकर पहनकर आसन करने चाहिए। लंगोट से विशेष लाभ मिलता है।
(8) योगासनों का अभ्यास सभी वर्गों के लोग, बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष कर सकते हैं । 10 वर्ष से लेकर 80 वर्ष तक के व्यक्ति योगाभ्यास कर सकते हैं। आसनों का अभ्यास किसी जानकार व्यक्ति से सीखकर विधि-विधान अनुसार करना चाहिए । योगासन एक वैज्ञानिक विधि है। इनका सम्बन्ध शरीर के अन्दर के अंगों से है जिन्होंने सारे शरीर के कार्य को चलाना है। सलिए बिना सीखे करने से हानि होने का डर रहता है जिससे कई प्रकार के दोष पैदा हो जाते हैं।
(9) यौगिक आसन खाली पेट करने चाहिए, कुछ खाकर कभी भी आसन न करें। खाकर आसन करने से हानि होने का अन्देशा रहता है। आसन करने के बाद भी कम-से-कम दो घंटे बाद ही कुछ खाएं। आसनों के बाद जितना समय भी आप बिना खाये रहेंगे, शरीर की शक्ति शरीर के विकार को (जिसे आसन व्यायाम ने उभारा है) बाहर निकाल पाने में कार्य करेगी, शरीर को निर्मल बना देगी ।
(10) योगासन करने वाले व्यक्ति को अपना भोजन हल्का रखना चाहिए। उसका भोजन सुपाच्य, सात्त्विक व प्राकृतिक हो । योगासन करने वाले व्यक्ति को अधिक भोजन करने की आवश्यकता नहीं होती। जितना हल्का भोजन होगा उतनी उसकी कार्य-शक्ति बढ़ जायेगी, शरीर हल्का हो जायेगा, रोगनाशक शक्ति बढ़ जायेगी और वह कभी रोगी न होगा। आसनों के बाद पहला भोजन यदि दूध या फल हो तो बहुत उत्तम है।
(11) कठिन रोगों तथा ज्वर से पीड़ित व्यक्ति को प्राणायाम आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। तीन-चार मास के गर्भ धारण के बाद गभवती स्त्री को भी आसनों का त्याग कर देना चाहिए। मासिक धर्म के दिनों में भी स्त्रियों के लिए आसत वर्जित हैं। केवल स्वस्थ व्यक्ति या सामान्य रोगों से पीड़ित व्यक्ति ही प्राणायाम आसन का अभ्यास करें।
(12) सर्वांगासन के अतिरिक्त सब आसनों की अन्तिम स्थिति में थोड़ा समय ही ठहरना चाहिए । सर्वांगासन धीरे-धीरे बढ़ाकर दस मिनट तक कर सकते हैं। आसन की पहली स्थिति से अन्तिम स्थिति में और अन्तिम स्थिति से वापस पहली स्थिति में धीरे-धीरे ही आना चाहिए ।
(13) आसनों का अभ्यासक्रम इस प्रकार रखना चाहिए कि आसन के बाद उसका उपासन (Counter Pose) भी हो, यदि दायीं ओर तो बायीं हो ओर भी हो । इसी से उपयुक्त लाभ होगा। जैसे पश्चिमोत्तानासन और उसका उपासन कोणासन, योगमुद्रा दायीं ओर, बायीं ओर, भुजंगासन, उसके बाद शलभ आसन । सर्वांगासन, उसके बाद मत्स्यासन आदि ।
(14) जो योगासनों का अभ्यास आप कर रहे हैं वे ठीक हो रहे हैं और उसका लाभ आपको मिल रहा है, यह जानने का एकमात्र वन है कि आपका शरीर आसन करने के बाद थकावट रहित हो, हल्का-फुल्का हो जाये, आपकी कार्य-शक्ति बढ़ जाये और दिन-प्रतिदिन युवा होने लग जायें ।
(15) योगासनों की समाप्ति के बाद कुछ समय के लिए शवासन अवश्य करें। आसनों का लाभ तभी मिल पायेगा जब आप शवासन करेंगे। हर आसन के बाद भी आराम करना वश्यक है। शवासन की विधि आगे चलकर बताई गई है। शवासन से शरीर में अद्भुत शक्ति का संचार होता है।
(16) आसन-प्राणायाम आदि अभ्यास करते समय जब पसीना आये तो उसे कपड़े से पोंछना नहीं चाहिए । पसीने को दोनों हाथों से सारे शरीर में मल देना चाहिए। इससे उसका लाभ अधिक होता है। शरीर में स्फूर्ति आती है, त्वचा शक्तिशाली तथा सुन्दर बनती है।
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