नई दिल्ली: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की युवा सनसनी शेफाली वर्मा ने विश्व कप फाइनल में अपने हरफनमौला प्रदर्शन से इतिहास रच दिया। उन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से कमाल करते हुए भारत को 52 साल के लंबे इंतजार के बाद विश्व चैंपियन बनाया। फाइनल में 87 रन की पारी और दो अहम विकेट चटकाने के लिए उन्हें ‘प्लेयर ऑफ द फाइनल’ के खिताब से नवाजा गया। दिलचस्प बात यह है कि टूर्नामेंट शुरू होने से महज छह दिन पहले तक शेफाली टीम का हिस्सा भी नहीं थीं।
लेकिन जब मौका मिला तो उन्होंने इसे दोनों हाथों से भुनाया और अपने करियर का सबसे यादगार प्रदर्शन किया। खराब फॉर्म से फाइनल की हीरो तक का सफर विश्व कप से पहले शेफाली का फॉर्म चिंता का विषय था। उन्होंने अपना पिछला वनडे अर्धशतक जुलाई 2022 में लगाया था, जिसके बाद 13 पारियों में वह एक भी फिफ्टी नहीं बना सकीं। इस दौरान वह नौ बार 15 रन से कम और छह बार तो दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाई थीं। हालांकि, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और घरेलू क्रिकेट में जमकर मेहनत की।
हरियाणा के लिए खेलते हुए 2024-25 सीजन में उन्होंने 75.28 की औसत और 152 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए। इसके अलावा WPL 2025 में भी वह चौथी सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी रहीं। इसी प्रदर्शन के दम पर उन्हें आखिरी समय में टीम में जगह मिली। फाइनल में यादगार प्रदर्शन सेमीफाइनल में शानदार वापसी के बाद शेफाली ने फाइनल में भी अपनी लय बरकरार रखी। उन्होंने 78 गेंदों पर सात चौकों और दो छक्कों की मदद से 87 रनों की पारी खेली।
इस दौरान उन्हें 56 रन के स्कोर पर एक जीवनदान भी मिला, जब दक्षिण अफ्रीका की एनेके बॉश ने उनका कैच छोड़ दिया। शेफाली ने इस मौके का पूरा फायदा उठाया। बल्लेबाजी के अलावा उन्होंने गेंदबाजी में मारिजाने कैप और सुने लूस जैसे महत्वपूर्ण विकेट हासिल किए। ‘भगवान ने कुछ अच्छा करने भेजा था’ मैच के बाद अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए शेफाली ने कहा कि उन्हें खुद पर पूरा भरोसा था। “मैंने शुरू में कहा था कि भगवान ने मुझे कुछ अच्छा करने के लिए भेजा है। और आज वो सच हो गया।
मैं बहुत खुश हूं कि हमने आखिरकार विश्व कप जीत लिया। इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती।” — शेफाली वर्मा उन्होंने आगे कहा, “टीम में देर से बुलाए जाने के बाद फोकस करना मुश्किल था, लेकिन मैंने खुद पर भरोसा रखा। मेरे माता-पिता, भाई और दोस्तों ने बहुत सपोर्ट किया। उन्होंने हमेशा कहा कि शांत रहो और अपनी खेल पर भरोसा रखो।” सचिन और सीनियर खिलाड़ियों से मिली प्रेरणा शेफाली ने अपनी सफलता का श्रेय सीनियर खिलाड़ियों और अपने प्रेरणास्रोत सचिन तेंदुलकर को भी दिया।
उन्होंने बताया, “स्मृति दीदी (मंधाना) लगातार मुझसे बात कर रही थीं, हरमन दीदी (कौर) हमेशा सपोर्ट करती रहीं। सीनियर्स ने कहा कि अपना गेम खेलो, डरना नहीं।” उन्होंने सचिन तेंदुलकर के बारे में कहा, “सचिन सर बालकनी में थे, उन्हें देखकर अलग ही जोश आया। मैं उनसे बात करती रहती हूं। वो हमेशा मुझे आत्मविश्वास देते हैं। फाइनल में उन्हें देखकर लगा कि मेरी मेहनत रंग लाई है।

