जयपुर। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा 2021 में एक और प्रोबेशनर एसआई को गिरफ्तार किया है। आरोपी एसआई ने आठ लाख रुपए में पेपर खरीदकर पढ़ा और मेरिट में आ गया। एसओजी की टीम अब उससे पूछताछ कर रही है। एडीजी एसओजी एटीएस वीके सिंह ने बताया कि उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा 2021 पेपर लीक मामले में मुकदमा नम्बर 10/2024 दर्ज हुआ था। इस दौरान सूचना मिली कि आरोपी अशोक सिंह (30) हनुमान नगर खींवसर नागौर का रहने वाला है और वह हाल में अजमेर पुलिस लाइन में एसआई प्रशिक्षु के तौर पर तैनात है।
इसने पूर्व में गिरफ्तार आरोपी विनोद कुमार जाट उर्फ विनोद रेवाड (45) निवासी पापडीया की ढाणी डूंगरी कला रेनवाल हाल राजश्री विहार न्यू लोहा मण्डी रोड माचडा हरमाड़ा से एसआई भर्ती परीक्षा 2021 की लिखित परीक्षा से पूर्व आठ लाख रुपए में पेपर का सौदा किया। उसने एसआई की 14 सितम्बर 2021 को आयोजित दोनाें पारियाें की लिखित परीक्षा से पूर्व लीक सॉल्वड पेपर विनोद रेवाड से वाट्सअप पर मंगा लिया। उस पेपर को पढ़कर परीक्षा दी, जिससे अशोक सिंह ने कुल 310.39 अंक प्राप्त कर लिखित परीक्षा उतीर्ण की।
मैरिट में 396वें नम्बर पर परिणाम में अशोक सिंह का उपनिरीक्षक के पद पर अंतिम रूप से मैरिट क्रमांक 396 पर चयन हुआ। जांच में अशेाक सिंह राजपुरोहित द्वारा पेपर लीक गिरोह सदस्य विनोद से पेपर प्राप्त करने का खुलासा हो गया। इस पर टीम ने जांच कर अशोक सिंह को गिरफ्तार कर लिया। एसओजी अभी तक 55 प्रशिक्षु उप निरीक्षक सहित कुल 124 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर चुकी है। एसआई भर्ती पेपर लीक प्रकरण में अपील पेश, सुनवाई 8 को।
एसआई भर्ती-2021 पेपर लीक मामले में राजस्थान हाईकोर्ट की एकलपीठ की ओर से दिए आदेश के खिलाफ चयनित अभ्यर्थियों ने खंडपीठ में अपील पेश कर दी है। अपीलार्थी विक्रम पंवार व अन्य की ओर से दायर इस अपील याचिका पर खंडपीठ 8 सितंबर को सुनवाई करेगी। अपील में अधिवक्ता अलंकृता शर्मा ने बताया कि एकलपीठ ने अपने आदेश में एक ओर राज्य सरकार को विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर आरपीएससी को भेजने को कहा है, वहीं दूसरी ओर भर्ती रद्द करने की बात भी कहा है। यह आपस में विरोधाभासी है।
इसके अलावा एकलपीठ ने अपने संपूर्ण निर्णय एसओजी, महाधिवक्ता और राज्य सरकार की पहली रिपोर्ट पर ही आधारित रखा है। राज्य सरकार ने बाद में दूसरी रिपोर्ट में अपना रुख स्पष्ट करते हुए फिलहाल भर्ती रद्द नहीं करने की बात कही है, लेकिन एकलपीठ ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया। अपील में कहा गया कि एक विषय पर जब राज्य सरकार की पुरानी सिफारिश या रिपोर्ट पर नवीन सिफारिश या रिपोर्ट आ जाती है तो पुरानी एक तरह से प्रभावहीन हो जाती है।
राज्य सरकार ने अपनी नवीन सिफारिश में माना है कि भर्ती में शामिल दोषियों की पहचान कर उनकी छंटनी संभव है। वहीं भर्ती होने के बाद अपीलार्थियों का प्रशिक्षण हो गया और वे परिवीक्षा काल में चल रहे हैं। एसओजी ने उनके खिलाफ भी जांच की थी, लेकिन उनके खिलाफ पेपर लीक से जुड़ा कोई साक्ष्य नहीं मिला। ऐसे में एकलपीठ के आदेश को रद्द किया जाए।
गौरतलब है कि एकलपीठ ने गत 14 अगस्त को सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद 28 अगस्त को आदेश देते हुए भर्ती को रद्द करने के लिए राज्य सरकार को विस्तृत रिपोर्ट बनाकर आरपीएससी में देने को कहा था। वहीं एकलपीठ ने इस भर्ती के पदों को साल 2025 की भर्ती में जोडते हुए दूसरी सरकारी सेवा छोड़कर आए चयनितों को पूर्व की सेवा में लेने को कहा था। एकलपीठ ने आरपीएससी की कार्यप्रणाली पर स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए उसे जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में लगाने को कहा था।
इस स्वप्रेरित प्रसंज्ञान याचिका पर खंडपीठ 10 सितंबर को सुनवाई करेगी।


