बेंगलुरु, 6 जून ()। कर्नाटक में फेडरेशन ऑफ बैकवर्ड क्लासेस एंड दलित सीयर्स के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को सम्मानित किया। सिद्दारमैया ने कहा कि केंद्र सरकार से एससी/एसटी समुदायों के लिए आरक्षण में बढ़ोतरी को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने का आग्रह किया जाएगा।
सम्मानित किए जाने के बाद अपनी टिप्पणी में सिद्दारमैया ने पिछली भाजपा सरकार द्वारा आरक्षण में बढ़ोतरी को चुनावी हथकंडा बताते हुए आलोचना की और कहा कि भले ही आरक्षण बढ़ाने वाले कानून को लागू किया गया था, उन्होंने चुनाव से ठीक दो दिन पहले केंद्र सरकार को इसे 9वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा था।
मुख्यमंत्री ने कहा, पिछली सरकार ने पिछड़ी और अनुसूचित जातियों के लिए आंतरिक आरक्षण देने के बहाने भ्रम पैदा किया है। आंतरिक आरक्षण बढ़ाने से पहले सभी समुदायों को विश्वास में लेने की हमारी सलाह की अनदेखी करने के परिणामस्वरूप उन्हें विभिन्न समुदायों के विरोध का सामना करना पड़ा।
उन्होंने कहा, इस तरह के भ्रम तब पैदा होते हैं जब किसी की सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता नहीं होती है। जनसंघ और भाजपा का हमेशा से आरक्षण विरोधी रुख रहा है। आरक्षण में बढ़ोतरी एक राजनीतिक नौटंकी है।
सिद्दारमैया ने कहा कि उनकी सरकार आरक्षण को लेकर सभी भ्रम दूर करेगी।
उन्होंने कहा, कर्नाटक के लोगों ने कांग्रेस को एक मौका दिया है। उन्होंने पिछली सरकार में विश्वास खो दिया है और बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं। चाहे वह सत्ता में हो या नहीं, कांग्रेस सरकार हमेशा एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है और सामाजिक न्याय के संबंध में अपने रुख से कभी समझौता नहीं करेगी।
सिद्दररमैया ने कहा, उन लोगों को समान अवसर दिए जाने चाहिए जो अवसरों से वंचित हैं। जब हम पहले सत्ता में थे, तब हमारी सरकार ने 162 करोड़ रुपये की लागत से स्थायी पिछड़ा वर्ग आयोग के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कराया था। पिछली सरकारें सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक करने में हिचकिचाती थीं। हमारी सरकार रिपोर्ट प्राप्त करेगी। तथ्यों के आधार पर शिक्षा, रोजगार, व्यवसाय जैसे विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
उन्होंने कहा, हमारी सरकार सभी वर्गो के लोगों का समर्थन करती है। पहले हमने अन्नभाग्य, क्षीरभाग्य, इंदिरा कैंटीन और अन्य कार्यक्रमों को लागू किया था। इस समय हम 5 गारंटी योजनाएं लागू कर रहे हैं। इस पर लगभग 59,000 करोड़ रुपये वार्षिक खर्च होगा।
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