नई दिल्ली। केंद्रीय चुनाव आयोग ने मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को पूरे देश में लागू करने की तैयारियों पर अहम बैठक की। सूत्रों के अनुसार, देशभर में अक्टूबर से एसआईआर शुरू होने की संभावना है। चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के सीईओ से कहा है कि 30 सितंबर तक कागजी कार्रवाई और आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली जाएं। अधिकांश राज्यों ने भरोसा जताया है कि वे सितंबर के अंत तक पूरी तरह तैयार हो जाएंगे। हालांकि, अंतिम तारीखें तभी तय होंगी जब सभी राज्यों के सीईओ अपनी प्रगति रिपोर्ट आयोग को सौंप देंगे।
दिल्ली के द्वारका स्थित इंडिया इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट में आयोजित अखिल भारतीय कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और दोनों चुनाव आयुक्तों के साथ देशभर के 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य चुनाव अधिकारी शामिल हुए। बैठक में दस्तावेजी मानकों पर भी चर्चा हुई। राज्यों के हिसाब से मांगे जाएंगे दस्तावेज। बैठक में राज्य की परिस्थिति के अनुसार एसआईआर में दस्तावेज मांगने पर सहमति बनी। ये सूची राज्य में स्थानीय स्तर पर मान्य सहज उपलब्ध दस्तावेजों पर आधारित होगी।
अलग-अलग राज्यों में दस्तावेजों के नाम और प्रकार होंगे, जैसे आदिवासी बहुल राज्यों में, उत्तर पूर्वी समीवर्ती राज्यों में, समुद्र तटीय राज्यों में कई जगह पहचान और आवास के विशिष्ट प्रमाणपत्र भी होते हैं। वहीं कई जगह क्षेत्रीय स्वायत्त बोर्ड और निकाय भी ऐसे प्रमाण पत्र जारी करते हैं। अवैध विदेशी मतदाताओं पर सख्ती। एसआईआर का मुख्य उद्देश्य अवैध विदेशी प्रवासियों को मतदाता सूची से बाहर करना है। इसके लिए मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान अधिकारी घर-घर जाकर सत्यापन करेंगे और संदेहास्पद मामलों में जन्म स्थान और तिथि से जुड़े दस्तावेज अनिवार्य होंगे।
विशेष रूप से एक जुलाई 1987 से पहले भारत में जन्म का प्रमाण या 1987 से 2004 के बीच जन्मे नागरिकों के माता-पिता के दस्तावेज जमा कराना जरूरी होगा। आयोग ने भरोसा दिया है कि एसआईआर के दौरान किसी भी वैध मतदाता का नाम सूची से नहीं हटाया जाएगा और बिना नोटिस के किसी का नाम नहीं काटा जाएगा।


