बेंगलुरु। प्रख्यात कन्नड़ उपन्यासकार एस एल भैरप्पा का बुधवार को निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे और कुछ वर्षों से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्होंने बेंगलुरु के राजाजीनगर स्थित राष्ट्रोत्थान अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह कई वर्षो से अस्वस्थ थे और पिछले एक साल से पत्रकार विश्वेश्वर भट के बेंगलुरु स्थित आवास पर रह रहे थे। वह मूलत: मैसुरू के रहने वाले थे। भैरप्पा का जन्म 26 जुलाई, 1934 को हासन जिले के संतेशिवरा गांव में हुआ था। उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था।
लेकिन सारी बाधाओं को पार करते हुए कन्नड़ के सबसे अधिक पढ़े जाने वाले लेखकों में से एक बने। भैरप्पा ने चार दशकों के अपने साहित्यिक करियर में धर्मश्री से शुरुआत करते हुए 21 उपन्यास लिखे। उनकी वंशवृक्ष, दातु, तंतु और पर्व आदि रचनाएं न केवल व्यापक स्तर पर सराही गयी बल्कि अक्सर इन किताबों पर बहसें भी छिड़ गईं। उनके कईं उपन्यासों का हिंदी, मराठी, अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया। वंशवृक्ष, तब्बलियु नीनाडे मगने और मातादाना पर पुरस्कृत फिल्में भी बनीं।
भैरप्पा को कई शीर्ष सम्मान प्राप्त हुए, जिनमें कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार (1966), केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार (1975), सरस्वती सम्मान (2010) और पद्म भूषण (2023) शामिल हैं। उनके निधन से कन्नड़ साहित्य के एक युग का अंत हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भैरप्पा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, एस.एल. भैरप्पा जी के निधन से हमने एक ऐसे प्रखर व्यक्तित्व को खो दिया है जिन्होंने हमारी अंतरात्मा को झकझोर दिया और भारत की आत्मा में गहराई से उतर गए।
एक निडर और बेहतरीन विचारक, उन्होंने अपनी रचनाओं से कन्नड़ साहित्य को गहन रूप से समृद्ध किया। उनके लेखन ने पीढि़यों को सोचने, प्रश्न करने और समाज के साथ अधिक गहराई से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। हमारे इतिहास और संस्कृति के प्रति उनका अटूट जुनून आने वाले वर्षो तक लोगों को प्रेरित करता रहेगा। इस दुखद घड़ी में मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ॐ शांति। पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, कन्नड़ साहित्य के दिग्गज, सरस्वती सम्मान और पद्म भूषण से सम्मानित डॉ. एस.एल.
भैरप्पा के निधन की खबर से गहरा दुख हुआ है। मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूँ और उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ।