जिस तरह से एकादशी के व्रत का महत्व माना गया है, उसी प्रकार प्रदोष के व्रत का भी विशेष महत्व है। यह दिन भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष के नाम से जाना जाता है। इस दिन की गई पूजा और व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन में हमेशा सुख, समृद्धि और शुभता बनी रहे, तो प्रदोष व्रत करना आवश्यक है। नवंबर महीने में यह व्रत 17 तारीख को है।
आइए जानते हैं कि पूजा की विधि क्या है और किन चीजों का दान देना चाहिए। प्रदोष व्रत पूजा सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। आप शिव मंदिर या अपने घर के पूजा स्थल की सफाई कर सकते हैं। प्रदोष काल में एक बार फिर स्नान करें और फिर पूजा के लिए बैठें। सबसे पहले शिवलिंग पर शुद्ध जल से अभिषेक करें। फिर गाय का कच्चा दूध या पंचामृत का अभिषेक करें। शिव जी को धतूरा, बिल्व पत्र, शमी, भांग और सफेद चंदन अर्पित करें।
रुद्राक्ष की माला से ॐ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। अंत में दीपक और कपूर से भगवान की आरती करें। दान देने के लिए सफेद वस्त्र का दान करना शुभ माना गया है। इसके साथ अन्य वस्तुओं का दान भी करें। इससे चंद्र दोष का प्रभाव कम होता है और मानसिक शांति मिलती है। दूध और दही का दान किसी गरीब ब्राह्मण या जरूरतमंद को करें, इससे जीवन में सुख समृद्धि आती है। इस दिन चांदी का दान भी शुभ है।
यदि संभव हो तो चांदी का दान करें, यह चंद्रमा की धातु है जो मन को शांत करती है। व्रत समाप्त करने के बाद किसी जरूरतमंद को भोजन कराएं या कच्चा अनाज दान करें।


