सोनभद्र: जिले के ओबरा थाना क्षेत्र स्थित बिल्ली मारकुण्डी खनन क्षेत्र में शनिवार को हुए पत्थर खदान हादसे के बाद बचाव अभियान लगातार जारी है। जिलाधिकारी बद्रीनाथ सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन में लगभग 75 टन की एक विशाल चट्टान सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। इस चट्टान को हटाने के बाद ही मलबे में फंसे मजदूरों के बारे में स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। यह हादसा शनिवार दोपहर रासपहाड़ी में हुआ था, जिसके बाद से ही राहत और बचाव का काम तेजी से चलाया जा रहा है।
अधिकारियों का मानना है कि आने वाले कुछ घंटों में स्थिति और साफ हो सकती है। कई विशेषज्ञ एजेंसियों की संयुक्त टीम जुटी इस बड़े बचाव अभियान को सफल बनाने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की विशेषज्ञ टीमों को लगाया गया है। NDRF और SDRF की टीमों के साथ-साथ कोरिया की कंपनी दुसान के अधिकारी भी मौके पर मौजूद हैं। इसके अलावा, NCL (नार्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड), अल्ट्राटेक और पावर कारपोरेशन के विशेषज्ञ भी अपने उपकरणों और विशेषज्ञता के साथ रेस्क्यू में मदद कर रहे हैं।
75 टन की चट्टान हटाने पर टिकी उम्मीदें जिलाधिकारी बद्रीनाथ सिंह ने बताया कि बचाव कार्य में सबसे बड़ी चुनौती पहाड़ का लगभग 75 टन वजनी हिस्सा है, जो खिसक कर नीचे आ गया है। इसे हटाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं। “लगभग 75 टन वजनी पहाड़ के कारण रेस्क्यू अभियान में परेशानी आ रही है। इसे हटाने के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी।
तेजी से रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है।” — बद्रीनाथ सिंह, जिलाधिकारी, सोनभद्र अधिकारियों के अनुसार, जब तक यह भारी पत्थर नहीं हटता, तब तक यह कहना मुश्किल है कि मलबे के नीचे कितने लोग दबे हो सकते हैं। अभी तक के अभियान में केवल एक शव बरामद किया गया है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि मृतकों के परिजनों को शासन के नियमानुसार हर संभव मदद मुहैया कराई जाएगी।


