चैत्र नवरात्र 25 मार्च से, इसबार सर्वार्थ सिद्धि योग, पांच रवि योग और गुरु पुष्य योग का दुर्लभ संयोग
नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा अलग-अलग दिन होती है।

जयपुर - हिंदू नववर्ष का आरंभ 25 मार्च बुधवार को होने जा रहा है। इसी दिन चैत्र नवरात्र का आरंभ होगा। इस वर्ष चैत्र नवरात्र 25 मार्च 2020 से लेकर 2 अप्रैल 2020 तक रहेंगे। चैत्र नवरात्र पर इसबार सर्वार्थ सिद्धि योग है। पांच रवि योग और गुरु पुष्य योग का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
तिथि व सूर्योदय के अनुसार
- सुबह 5:57 बजे से शाम 4:02 बजे तक
- गुली काल मुहूर्त : सुबह 10:24 बजे से 11:56 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:31 बजे से 12:20 बजे तक
माता की चौकी की स्थापना की सामग्री
मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति, माता स्थापना के लिए लकड़ी की चौकी, सवा मीटर लाल या पीला कपड़ा, लाल चुनरी या साड़ी, कलश, आम के पत्ते, फूल माला और लाल फूल, एक जटा वाला नारियल, पान के पत्ते, सुपारी, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, सिंदूर, मौली, चावल, दुर्गा सप्तशती की पुस्तक
पूजा के दौरान किन बातों का रखें ध्यान?
- माता की तस्वीर या मूर्ति में शेर शांत मुद्रा में हो
- नवरात्रि में मातारानी को दूर्वा अर्पण न करें
- घर मे अखंड ज्योत जलाने के बाद घर खाली न छोड़ें
- देवी मां की तस्वीर के बायीं ओर दीपक रखें
- मूर्ति या तस्वीर के दायीं ओर जौ बोयें
- लाल या पीले आसन पर बैठकर ही पूजा करें
इसबार नाव पर चढ़ कर आ रही है माता
चैत्र नवरात्र 2020 का आरंभ बुधवार को हो रहा है। देवीभाग्वत पुराण में बताया गया है कि नवरात्र का आरंभ बुधवार को होगा तो देवी नौका पर यानी नाव पर चढ़कर आएंगी।
माता के नौका पर चढ़कर आने का मतलब यह है कि इस साल खूब वर्षा होगी जिससे आम लोगों का जीवन प्रभावित हो सकता है। बाढ़ की वजह से जन धन का बड़ा नुकसान हो सकता है।
माता की विदाई हाथी पर होगी
चैत्र नवरात्र का समापन 3 मार्च शुक्रवार को हो रहा है। देवीभाग्वत पुराण में कहा गया है कि अगर शुक्रवार के दिन माता विदा होती हैं तो उनका वाहन हाथी होता है।
हाथी वाहन होना इसी बात का सूचक है कि अच्छी वर्षा होगी। लेकिन कृषि के मामले में स्थिति अच्छी रहेगी। अच्छी उपज से किसान उत्साहित रहेंगे।