उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में सोमवार की सुबह भक्तिभाव और आस्था का माहौल देखा गया। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कृष्णमाचारी श्रीकांत ने प्रातःकालीन भस्म आरती में भाग लेकर भगवान महाकाल का आशीर्वाद लिया। आरती के दौरान मंदिर परिसर में हर हर महादेव के जयकारे गूंज उठे। श्रीकांत ने भगवान महाकालेश्वर की विधिवत पूजा-अर्चना की और देशवासियों के सुख, समृद्धि और कल्याण की प्रार्थना की। भस्म आरती में शामिल हुए श्रीकांत का मंदिर समिति ने विशेष स्वागत किया। मंदिर के पुजारी आकाश गुरु ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना कराई।
इस अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की ओर से भस्म आरती प्रभारी आशीष दुबे ने उन्हें सम्मानित किया। श्रीकांत ने मंदिर की व्यवस्थाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि महाकाल मंदिर में अनुशासन और श्रद्धा का वातावरण अविश्वसनीय है। यह अनुभव जीवनभर याद रहेगा। उन्होंने बाबा महाकाल से भारत और दुनिया भर के लोगों की खुशहाली की कामना की। महाकालेश्वर मंदिर की बढ़ती ख्याति के कारण यह न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में श्रद्धा का केंद्र बन चुका है। महाकाल लोक कॉरिडोर के बनने के बाद यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ गई है।
रोज़ाना हजारों भक्त यहां सुबह-सुबह भस्म आरती में शामिल होकर बाबा के दर्शन करते हैं। यह वही आरती है जिसमें भगवान महाकाल को ताज़ी चिता की भस्म से अलंकृत किया जाता है, यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस आध्यात्मिक दृश्य को देखने के लिए देश-दुनिया से श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं। अब तो फिल्मी सितारों और क्रिकेटरों के लिए भी यह मंदिर एक ‘धार्मिक तीर्थ’ बन गया है। इससे पहले भी क्रिकेट जगत के कई दिग्गज महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन पहुंच चुके हैं।
कुछ दिन पहले भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने भी वर्ल्ड कप मैच से पहले महाकाल की भस्म आरती में भाग लिया था। खिलाड़ियों ने टीम इंडिया की जीत और देश की तरक्की के लिए विशेष पूजा की थी। इसके अलावा, बीते महीनों में सचिन तेंदुलकर, सुरेश रैना, हार्दिक पंड्या, केएल राहुल जैसे क्रिकेटरों ने भी महाकालेश्वर मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना की थी। बाबा महाकाल का आशीर्वाद लेने वालों की सूची में अब श्रीकांत का नाम भी जुड़ गया है। कृष्णमाचारी श्रीकांत भारतीय क्रिकेट टीम के उन खिलाड़ियों में से हैं जिन्होंने देश को गौरवान्वित किया।
वे 1983 विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा रहे, जिसने भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदल दिया। वर्ष 1989 में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम की कप्तानी की थी। अपने आक्रामक खेल और तेज़तर्रार स्वभाव के कारण वे हमेशा सुर्खियों में रहे। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद श्रीकांत ने कमेंटेटर, विश्लेषक, और राष्ट्रीय चयन समिति के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी अहम भूमिका निभाई।

