नई दिल्ली। रेहड़ी-पटरी दुकानदारों को अब ज्यादा लोन मिलेगा। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना का विस्तार कर दिया है। योजना को 31 मार्च 2030 तक बढ़ाया गया है। साथ ही इसका बजट अब 7,332 करोड़ रुपये होगा। अफसरों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में योजना के पुनर्गठन को मंजूरी दी गई। इसमें कहा गया है कि योजना के तहत पहली किस्त की ऋण सीमा 10,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दी गई है। जबकि दूसरी किस्त 20,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये की गई है।
तीसरी किस्त 50,000 रुपये पर रहेगी। अफसरों ने कहा कि समय पर अपना दूसरा ऋण चुकाने वाले स्ट्रीट वेंडर्स को आकस्मिक व्यावसायिक और व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए यूपीआई-लिंक्ड रुपे क्रेडिट कार्ड दिया जाएगा। इसके अलावा खुदरा और थोक लेन-देन पर डिजिटल भुगतान का विकल्प चुनने वाले विक्रेताओं को 1600 रुपये तक का प्रोत्साहन भी दिया जाएगा। अब नई योजना के तहत 50 लाख नए स्ट्रीट वेंडरों सहित 1.15 करोड़ लाभार्थियों को लाभान्वित किया जाएगा। अफसरों ने कहा कि योजना का कार्यान्वयन आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) और वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) की संयुक्त जिम्मेदारी होगी।
आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय योजना का संचालन करेगा। जबकि डीएफएस बैंकों और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से ऋण और क्रेडिट कार्ड तक पहुंच को सुगम बनाएगा। बयान में कहा गया है कि योजना में बढ़ी हुई ऋण राशि के साथ यूपीआई-लिंक्ड रुपे क्रेडिट कार्ड, डिजिटल कैशबैक प्रोत्साहन और व्यापक भौगोलिक कवरेज दिया जाएगा। इसके साथ ही योजना के तहत एफएसएसएआई के साथ साझेदारी में रेहड़ी-पटरी वालों के लिए मानक स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा।
केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान कठिनाइयों का सामना करने वाले स्ट्रीट वेंडरों की सहायता के लिए एक जून 2020 को पीएम स्वनिधि योजना शुरू की थी। योजना के तहत 30 जुलाई तक 68 लाख से ज्यादा रेहड़ी-पटरी वालों को 13,797 करोड़ रुपये का 96 लाख से ज्यादा ऋण वितरित किया जा चुका है। लगभग 47 लाख डिजिटल रूप से सक्रिय लाभार्थियों ने 6.09 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 557 करोड़ से अधिक डिजिटल लेन-देन किए हैं, जिससे उन्हें कुल 241 करोड़ रुपये का कैशबैक प्राप्त हुआ है।
भारत 2030 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी पाने के लिए अपनी दावेदारी पेश करेगा। यह दावेदारी इन खेलों को अहमदाबाद में आयोजित करने के लिए होगी। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रमंडल खेल-2030 (सीडब्ल्यूजी-2030) के लिए बोली प्रस्तुत करने के युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के प्रस्ताव को आज मंजूरी दी। मंजूरी संबंधित मंत्रालयों, विभागों और प्राधिकरणों से आवश्यक गारंटियों के साथ मेजबान सहयोग समझौते (एचसीए) पर हस्ताक्षर करने और बोली स्वीकार होने की स्थिति में गुजरात सरकार को आवश्यक अनुदान सहायता स्वीकृत करने से भी जुड़ी है।
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार अहमदाबाद आयोजन के लिए एक आदर्श मेजबान शहर साबित होगा।