मुख्यमंत्री की सख्त कार्रवाई से भ्रष्टाचार में कमी

Tina Chouhan

जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के मार्गदर्शन में राज्य सरकार सरकारी कार्यों में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इसी दिशा में सरकारी कार्यों में लापरवाही, अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार के दोषी कर्मचारियों के खिलाफ लगातार सख्त कार्रवाई की जा रही है। राज्य सरकार ने राजकीय सेवाओं में अनुशासन और ईमानदारी को सुनिश्चित करने के लिए कुल 15 मामलों में 28 कर्मचारियों के खिलाफ विभिन्न अनुशासनात्मक कार्यवाहियां की हैं। राजस्थान प्रशासनिक सेवा के दो अधिकारियों को रिश्वत लेने और नियमों के खिलाफ कार्य करने के मामलों में मुख्यमंत्री के निर्देश पर निलंबित किया गया है।

इसके अलावा, चुनाव कार्य में लापरवाही बरतने के एक अन्य मामले में उपखंड अधिकारी और तहसीलदार के खिलाफ राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 के नियम 16 के तहत आरोप पत्र जारी कर विभागीय कार्रवाई शुरू करने की अनुमति दी गई है। इसी प्रकार, सेवा से लगातार अनुपस्थित रहने और सरकारी कार्य में लापरवाही के आधार पर एक कर्मचारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की सिफारिश को भी मंजूरी दी गई है।

13 अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के लंबित मामलों का त्वरित निस्तारण करते हुए तीन मामलों में कुल 13 अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त, भ्रष्टाचार के दो मामलों में अदालत से दोषी पाए गए अधिकारियों की पूरी पेंशन रोकने का निर्णय लिया गया है। साथ ही, राज्यपाल द्वारा अनुमोदित तीन अन्य मामलों में 5 अधिकारियों की समानुपातिक पेंशन राशि रोकने का दंड दिया गया है। सेवानिवृत्ति के बाद जांच में आरोप प्रमाणित पाए जाने पर एक मामले को अनुमोदन के लिए राज्यपाल को भेजा गया है।

वहीं, नियम 17-सीसीए के तहत क्षेत्राधिकार से बाहर कार्रवाई करने के कारण एक प्राचार्य को दंडित किया गया है। एक अन्य मामले में राजस्थान पुलिस सेवा के एक अधिकारी द्वारा नियम 34-सीसीए के तहत प्रस्तुत पुनरावलोकन याचिका को खारिज करते हुए पूर्व में दिए गए दंड को यथावत रखा गया है।

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