हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू मंगलवार को दिल्ली दौरे पर जा रहे हैं, जहां 29 अक्टूबर को उनकी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष से मुलाकात तय है। यह पांचवां मौका होगा जब सुक्खू हिमाचल के हितों को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री से मिलेंगे। मुख्यमंत्री इस दौरे में प्रदेश की वित्तीय स्थिति से जुड़े कई अहम मुद्दे उठाने वाले हैं, जिनमें ऋण सीमा बढ़ाने, आपदा राहत पैकेज और जीएसटी मुआवजा जैसे विषय प्रमुख हैं।
दिल्ली दौरे पर जा रहे सीएम सुक्खू मुख्यमंत्री सुक्खू अपने दौरे में राज्य की ऋण सीमा बढ़ाने की मांग करेंगे। हिमाचल सरकार का तर्क है कि वर्तमान वित्तीय स्थिति के मद्देनज़र ऋण की सीमा को पूर्व की तरह 5.5 प्रतिशत किया जाए। उन्होंने कहा कि ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू करने के बाद यह सीमा कम कर दी गई थी, जिससे राज्य पर विकास कार्यों में वित्तीय दबाव बढ़ गया है। मुख्यमंत्री इस निर्णय से प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर पड़े असर को विस्तार से वित्त मंत्री के समक्ष रखेंगे।
इसके अलावा, सुक्खू प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1500 करोड़ रुपये के आपदा राहत पैकेज पर भी बातचीत करेंगे। राज्य सरकार की मांग है कि इस राशि को जल्द से जल्द जारी किया जाए ताकि प्राकृतिक आपदा से प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण और राहत कार्यों को गति मिल सके। मुख्यमंत्री केंद्र से यह भी आग्रह करेंगे कि अन्य लंबित मामलों और केंद्रीय परियोजनाओं से संबंधित मंजूरियों को शीघ्र स्वीकृति प्रदान की जाए। वित्त मंत्री से करेंगे बातचीत मुख्यमंत्री वित्त मंत्री से अतिरिक्त लोन लिमिट देने का अनुरोध भी करेंगे।
इस संबंध में दो प्रमुख तर्क रखे जाएंगे—पहला, इस वर्ष वित्त आयोग से मिलने वाली राजस्व घाटा अनुदान (RDG) राशि में बड़ी कमी आई है, और दूसरा, बरसात के दौरान हुई प्राकृतिक आपदाओं से राज्य को भारी नुकसान हुआ है। यदि अतिरिक्त ऋण सीमा की अनुमति मिलती है, तो राज्य सरकार 31 मार्च 2026 तक कोषागार का सामान्य प्रबंधन कर सकेगी और विकास कार्य निर्बाध रूप से जारी रहेंगे। सुक्खू ने कहा कि अगले वित्त वर्ष से लागू होने वाली नए वित्त आयोग की सिफारिशों से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
साथ ही, वे मुलाकात में यह भी मुद्दा उठाएंगे कि जीएसटी लागू होने से हिमाचल को अपेक्षित लाभ नहीं मिला। मुख्यमंत्री ने बताया कि जीएसटी से पहले प्रदेश को 4,500 करोड़ रुपये वैट के रूप में मिलते थे, लेकिन अब यह घटकर मात्र 150 करोड़ रुपये रह गया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल उपभोक्ता राज्य नहीं है, इसलिए उसे जीएसटी से कोई खास फायदा नहीं हुआ, जबकि 35 प्रतिशत फार्मा उद्योग राज्य में होने के बावजूद राजस्व में गिरावट आई है।
सुक्खू ने कहा कि केंद्र से पांच वर्ष तक मुआवजा मिलने के बाद भी घाटे की भरपाई नहीं हो सकी है।


