हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की और प्रदेश की कठिन वित्तीय स्थिति को देखते हुए उदार वित्तीय सहायता की मांग की। उन्होंने कहा कि लगातार प्राकृतिक आपदाओं के कारण हिमाचल की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है, इसलिए केंद्र को सहयोगी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने राज्य की ऋण सीमा को दो प्रतिशत बढ़ाने का आग्रह किया और बताया कि प्रदेश को आपदा राहत, ऋण और अनुदान के लिए केंद्र से विशेष सहायता की आवश्यकता है।
सुक्खू ने वित्त मंत्री को बताया कि भारी बारिश, बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन से प्रदेश को लगातार नुकसान झेलना पड़ा है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 की शेष अवधि के लिए भी ऋण सीमा दो प्रतिशत बढ़ाई जानी चाहिए ताकि राज्य को राहत कार्यों और पुनर्निर्माण योजनाओं के लिए पर्याप्त संसाधन मिल सकें। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि जीएसटी दरों के युक्तिकरण से हिमाचल का हिस्सा कम हुआ है, जिससे प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि 15वें वित्त आयोग की अवधि में राज्य के राजस्व घाटा अनुदान में भारी कमी आई है — वर्ष 2020-21 में जहां यह 10,249 करोड़ रुपये था, वहीं 2025-26 में घटकर सिर्फ 3,257 करोड़ रुपये रह गया है। उन्होंने कहा कि बीते तीन वर्षों में प्रदेश को प्राकृतिक आपदाओं से लगभग 18,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और 1,321 लोगों की जान गई है। सुक्खू ने आग्रह किया कि इस कठिन परिस्थिति में केंद्र सरकार हिमाचल को विशेष वित्तीय सहायता प्रदान करे।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुख्यमंत्री की बातों को ध्यानपूर्वक सुना और आश्वस्त किया कि हिमाचल की मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य को विशेष केंद्रीय सहायता के तहत अतिरिक्त मदद दी जा सकती है और स्वास्थ्य क्षेत्र की बाह्य वित्त पोषित परियोजनाओं को लेकर अतिरिक्त स्वीकृतियां भी दी जाएंगी। इसके अलावा, मुख्यमंत्री सुक्खू ने केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से भी मुलाकात की और हिमाचल में डॉप्लर वेदर रडार और 150 स्वचालित मौसम केंद्र स्थापित करने की मांग रखी।
उन्होंने कहा कि इससे प्राकृतिक आपदाओं का समय रहते पता चल सकेगा। साथ ही, भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में सिस्मिक प्रयोगशाला और डेटा विश्लेषण केंद्र की स्थापना की जरूरत बताई। सीएम ने कहा कि राज्य में स्पेस ऑन व्हील्स कार्यक्रम, कृत्रिम मेधा पर रिफ्रेशर कोर्स और प्राकृतिक कृषि उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसी पहलें हिमाचल को वैज्ञानिक और कृषि दृष्टि से सशक्त बनाएंगी।


